'अगर नेहरू नहीं होते तो आजादी...', जम्मू-कश्मीर पर अमित शाह की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस हमलावर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सदन में पंडित नेहरू का जिक्र किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर तत्कालीन नेहरू सरकार की गलत नीतियों का जिक्र किया। अमित शाह के इस बयान पर कांग्रेस नेताओं के जरिए तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई है। कांग्रेस नेताओं ने अमित शाह कि टिप्पणी को गलत बताया है। कई नेताओं ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी है।
पीटीआई, नई दिल्ली। Amit Shah on Jawahar Lal Nehru। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को जम्मू और कश्मीर से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान उन्होंने 'नया कश्मीर' में क्या बदलाव आया उसपर चर्चा की। चर्चा के दौरान उन्होंने घाटी के इतिहास और वर्तमान की तुलना भी की। उन्होंने कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा।
वहीं, उन्होंने अलगाववादी और आतंकवादी घटनाओं का भी जिक्र किया। इसी बीच अमित शाह ने भी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल को भी याद किया। अमित शाह ने कहा कि पंडित नेहरू की गलत नीतियों की वजह से ही कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा।
अमित शाह ने पंडित नेहरू की नीतियों पर उठाया सवाल
अमित शाह ने पंडित नेहरू को लेकर कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1947-48 युद्ध में जब भारत की सेना जीत रही थी तब नेहरू ने युद्धविराम की घोषणा की। अगर तीन दिन बाद सीजफायर होता तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आज भारत का हिस्सा होता। वहीं, पंडित नेहरू से दूसरी गलती ये हुई कि इस मुद्दे को वो संयुक्त राष्ट्र ले गए।
विपक्ष ने जमकर हमला बोला
गृह मंत्री के इस बयान पर विपक्ष की ओर से लगातार प्रतिक्रिया सामने आ रही है। विपक्षी नेताओं ने अमित शाह पर इस टिप्पणी को लेकर हमला बोला है।
'वॉर एंड डिप्लोमेसी इन कश्मीर' पढें अमित शाह: जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा,"आज लोकसभा में गृह मंत्री ने 1947 और 1948 में जम्मू-कश्मीर में नेहरू की भूमिका पर जानबूझकर उत्तेजक और स्पष्ट रूप से गलत बयान दिया। ये कांग्रेस और भारत की कहानियों को पटरी से उतारने की रणनीति है और मैं अमित शाह के जाल में नहीं फंसूंगा।
उन्हें चन्द्रशेखर दासगुप्ता की उत्कृष्ट पुस्तक 'वॉर एंड डिप्लोमेसी इन कश्मीर' पढ़नी चाहिए जिसमें ऐसे कई मिथकों का पर्दाफाश किया गया है।"
तब युद्धविराम अपरिहार्य था: मनीष तिवारी
वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने नेहरू के खिलाफ शाह की टिप्पणी को बिल्कुल गलत बताया। समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए मनीष तिवारी ने कहा,"आप अगल-अलग दृष्टिकोण के साथ के साथ तत्कालीन सरकार को गलत ठहरा सकते हैं।
उन्होंने कहा,"संघर्ष विराम इसलिए हुआ क्योंकि तत्कालीन सरकार को भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ जनरल रॉय बुचर ने सलाह दी थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि तब युद्धविराम अपरिहार्य (अनिवार्य) था।"
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पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं: शक्ति सिंह गोहिल
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पार्टी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि किसी को भी भारत के पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन करने के लिए सब कुछ झोंक दिया।
उन्होंने कहा, ''सरदार वल्लभभाई पटेल हों, नेहरू जी हों, बाबा साहेब अंबेडकर हों, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, स्वतंत्रता संग्राम के लिए महात्मा गांधी के चरणों में पैतृक संपत्ति सहित अपना सब कुछ अर्पित कर दिया।''
उन्होंने कहा, "नेहरू और पटेल एक ही सिक्के के दो पहलू थे। उन्होंने (अमित शाह) आज जो टिप्पणी की है, वह सरदार वल्लभभाई पटेल और नेहरू जी का अपमान है। किसी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है।"
नेहरू न होते तो आजादी नहीं मिल पाती: प्रमोद तिवारी
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने शाह की इस टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना करते हुए कहा,"अगर पंडित नेहरू, महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानी नहीं होते तो आजादी नहीं मिल पाती। उन विपरीत परिस्थितियों (कश्मीर में) के बीच नेहरू ने जो बचाया।"
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