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Farmers Protest: किसानों को मनाने के लिए एक साथ आगे आईं पंजाब और केंद्र सरकार, भगवंत मान और केंद्रीय मंत्रियों के बीच घंटों चली बातचीत

Farmers Protest एमएसपी को लेकर किसानों का प्रोटेस्ट जारी है। इस बीच लोकसभा चुनाव की संजीदगी को देखते हुए केंद्र और पंजाब सरकार का मंथन जारी है। अबकी बार केंद्र सरकार पिछली बार की गलतियों को दोहराना नहीं चाहती और उन्होंने आंदोलन शुरू होने से पहले ही किसान संगठनों को मनाना शुरू कर दिया है। वहीं भगवंत मान भी मंत्रियों से बातचीत कर रहे हैं।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 09 Feb 2024 04:48 PM (IST)
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Farmers Protest: किसानों को मनाने के लिए एक साथ आगे आईं पंजाब और केंद्र सरकार,
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के दिल्ली कूच के आह्वान के बीच पंंजाब और केंद्र सरकार दोनों ही मिलकर मनाने में जुट गए हैं हालांकि किसानों की सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी वाली मांग को पूरा करने में केंद्र सरकार हिचकिचाहट दिखाई रही है।

किसानों को मनाना शुरू

लेकिन लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर किसानों को इस तरह फिर से आंदाेलन छेड़ना उन्हें महंगा पड़ सकता है। इसलिए इस बार केंद्र सरकार पिछली बार की गलतियों को दोहराना नहीं चाहती और उन्होंने आंदोलन शुरू होने से पहले ही किसान संगठनों को मनाना शुरू कर दिया है।

किसानों के उग्र होने से पहले ही मान लेनी चाहिए मांग

यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने ऐसा कदम उठाया हो ताकि किसानों को फिर से आंदोलन में न जाना पड़े। जिस प्रकार से मुख्यमंत्री भगवंत मान के आह्वान पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय किसान संगठनों से बातचीत करने के लिए चंडीगढ़ पहुंच गए और रात दस बजे तक उनके साथ बातचीत चलती रही, उससे लगता है कि केंद्र सरकार इस बार किसानों को उग्र होने से पहले ही मना लेना चाहती है। जबकि साल 2020 के दौरान ऐसा नहीं हुआ था।

तब किसान संगठनों ने पहले पंजाब में ही जगह जगह प्रदर्शन करने, सड़कें जाम करने और रेलवे ट्रैक रोकने जैसे कदम उठाए। तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से उन्हें बातचीत के लिए न्यौता दिया गया और उस बातचीत के बाद ही सभी 17 किसान संगठनों ने दिल्ली की ओर मुंह कर लिया। इसी बीच उन्हें हरियाणा के किसान संगठनों का भी साथ मिलना शुरू हो गया।

लखीमपुर खीरी कांड में घायलों को मुआवजा देने पर बनी सहमति

चूंकि किसानों की ज्यादातर मांगें केंद्र सरकार से जुड़ी हैं इसलिए इस बार मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने तौर किसान संगठनों से बातचीत करने की बजाए केंद्रीय मंत्रियों को ही पंजाब में बुला लिया। हालांकि बातचीत सिरे नहीं चढ़ पाई केवल नकली बीज बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई करने संबंधी बिल लाने और लखीमपुर खीरी कांड में घायल हुए लोगों को मुआवजा देने पर ही सहमति बनी दिखी।

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अन्य मांगों पर भी केंद्रीय मंत्री पियूष गाेयल ने उन्हें आश्वासन दिया कि सचिव स्तर पर चार अधिकारियों की एक कमेटी का गठन कर दिया गया है जो आने वाले समय में किसानों से बातचीत करेंगी। इसमें खाद्य एवं आपूर्ति, कृषि, पावर और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शामिल हैं।

इस बार आंदोलन से बड़ी यूनियनें बाहर

13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान संयुक्त मोर्चा (गैर राजनीतिक ) भाकियू सिदधूपुर की ओर से किया गया है जिसमें उनके साथ किसान मजदूर संघर्ष कमेटी शामिल हैँ। पिछले आंदोलन के दौरान पंजाब की 17 विभिन्न यूनियनों और संगठनों ने भाग लिया था। फिलहाल 13 फरवरी के आंदोलन से बड़े किसान संगठनों जिनमें भाकियू उगराहां, भाकियू राजेवाल, भाकियू लखोवाल और वामपंथियों के संगठन बाहर हैँ। उन्होंने 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया हुआ है।

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