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Punjab University: छात्रसंघ चुनाव में कनुप्रिया के बाद कोई छात्रा नहीं बन सकी प्रधान, 65 प्रतिशत गर्ल्स वोटर

पंजाब यूनिवर्सिटी में 65 फीसद से अधिक गर्ल्स वोटर होने के बावजूद अधिकतर छात्र संगठनों द्वारा गर्ल्स कैंडिडेट को प्रधान पद का उम्मीदवार नहीं बनाया जाता। 2018 में पहली बार किसी छात्रा ने प्रधान पद पर जीत हासिल की थी। वहीं लड़कियों को काउंसिल में भागेदारी 2009 में इनसो प्रत्याशी रही डा. दीपिका ठाकुर ने सचिव पद पर जीत हासिल कर रिकार्ड बनाया था।

By Jagran NewsEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Thu, 07 Sep 2023 11:01 AM (IST)
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छात्रसंघ चुनाव में 7वें स्थान पर रही मनिका, 65 प्रतिशत गर्ल्स वोटर
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में 2018 में इतिहास रचा गया था। पहली बार किसी छात्रा ने प्रधान पद पर जीत हासिल की थी। स्टूडेंट फार सोसाइटी (एसएफएस) की आशीष राणा को 719 वोटों से हराकर चुनाव जीता था, लेकिन उसके बाद कोई भी छात्रा प्रधान पद पर जीत हासिल नहीं कर सकी।

पीयू में 65 फीसद से अधिक गर्ल्स वोटर होने के बावजूद अधिकतर छात्र संगठनों द्वारा गर्ल्स कैंडिडेट को प्रधान पद का उम्मीदवार नहीं बनाया जाता। इस बार सिर्फ पीएसयू ललकार ने मनिका छाबड़ा को प्रधान पद पर खड़ा किया, लेकिन वह 326 वोटों के साथ सातवें स्थान पर रहीं।

एसएफआई ने की थी चुनाव लड़ाने की शुरुआत

पीयू चुनाव में लड़कियों को प्रधान पद पर चुनाव लड़ाने की शुरुआत स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने 2013 में नवजोत कौर को कैंडिडेट बनाकर की थी। उन्हें 500 से भी कम वोट मिले।

इसके बाद 2014 में एसएफएस ने छात्रा अमन को चुनावी मैदान में उतारा था। उन्हें 1334 वोट मिले, लेकिन 1066 वोट से हार का सामना करना पड़ा। 2017 में एसएफएस ने हसनप्रीत कौर को उम्मीदवार बनाया। उन्होंने विरोधियों को टक्कर देते हुए 2190 वोट हासिल किए, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सकीं।

कनुप्रिया ने 2018 में रचा था इतिहास

एसएफएस ने 2018 में फिर से पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में कनुप्रिया को उतारा और इस बार प्रधान पद पर जीत हासिल कर कनुप्रिया ने इतिहास रच डाला। एसएफएस ने 2013-14 में कैंपस में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू की और करीब चार वर्ष बाद 2018 में एक लड़की को प्रधान बनाकर गर्ल्स पावर का कैंपस में डंका बजा दिया।

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पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (पुसू) इतिहास में 2022 में पहली बार जूलाजी विभाग की छात्रा शिवाली को प्रेसिडेंट कैंडिडेट बनाया गया। 2022 में ही एसएफएस ने भवजोत कौर को प्रधान पद का उम्मीदवार घोषित किया था।

इनसो की डा. दीपिका ठाकुर से हुई थी शुरुआत

पीयू छात्र संघ चुनाव में प्रधान और सचिव पद ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। लड़कियों को काउंसिल में भागेदारी 2009 में इनसो प्रत्याशी रही डा. दीपिका ठाकुर ने सचिव पद पर जीत हासिल कर रिकार्ड बनाया था। एनएसयूआइ ने 2016 में नया प्रयोग करते हुए छात्रा सिया मनोचा को प्रधान पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन एनएसयूआइ को हार का सामना करना पड़ा था।

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