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Punjab News: बेअंत सिंह हत्‍या मामले में सजा काट रहे राजोआणा, गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद राहत की उम्‍मीद हुई कम

राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्‍दील करवाने के मामले में अमित शाह के बयान से झटका लगा है। बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करवाने के मामले में उस समय तेजी आई जब राजोआणा ने पांच दिसंबर से भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा कर दी। राजोआणा पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या के आरोप में फांसी की सजा काट रहे हैं।

By Inderpreet Singh Edited By: Himani Sharma Updated: Thu, 21 Dec 2023 10:31 PM (IST)
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बेअंत सिंह हत्‍या मामले में सजा काट रहे राजोआणा (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोप में फांसी की सजा काट रहे बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्‍दील करवाने के मामले में गृहमंत्री अमित शाह के बयान से झटका लगा है। बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करवाने के मामले में उस समय तेजी आई जब राजोआणा ने पांच दिसंबर से भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा कर दी।

एक कमेटी का किया गया गठन

हालांकि एसजीपीसी और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल राजोआणा ने इसे टाल दिया है और एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। जिसमें एसजीपीसी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी , दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका भी शामिल हैं।

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इन्होंने राजोआणा के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए समय मांगा हुआ है लेकिन जिस प्रकार से बुधवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से जुड़े तीनों विधेयक को लेकर बहस हुई और केंद्रीय गृह मंत्री इसका जवाब दिया उससे लगता है कि इस कमेटी को ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

अमित शाह ने अकाली सांसद हरसिमरत कौर बादल के फांसी की सजा के मामले में तीसरे पक्ष की ओर से दया याचिका का प्राविधान करने का जवाब देते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को अपने गुनाह का कोई अहसास नहीं है उसको दया देना सही नहीं है। दूसरा, नए कानूनों में दया याचिका फांसी लगने वाले व्यक्ति या उसके परिवार वालों को दाखिल करने के बारे में कहा गया है।

बेअंत सिंह हत्याकांड में काट रहे जेल

याद रहे कि राजोआणा को एक अगस्त 2007 को सीबीआई की विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन जब उनकी फांसी की सजा का दिन तय हो गया तो तब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के हस्तक्षेप से इस पर रोक लगा दी और तब से लेकर आज तक इस पर फैसला नहीं हुआ।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपने तौर पर राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर दी लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है। बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआणा ने अपना गुनाह कुबूल किया और केस लड़ने के लिए कोई वकील नहीं किया। वह अपने लिए मांगी हुई दया याचिका के भी खिलाफ है।

व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं करने चाहिए

उधर, अमित शाह के बयान पर टिप्पणी करते हुए एसजीपीसी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि देश की जेलों में तीन-तीन दशकों से कैद सिखों के मानवाधिकार किसी संविधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख तो पहले से ही यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें देश में इंसाफ नहीं मिल रहा है और गृह मंत्री ने संसद में बयान देकर सिखों के मनों पर एक बार फिर गहरी चोट की है।

अधिसूचना जारी करके सरकार इसे स्वीकृत कर चुकी

उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में 90 फीसदी कुर्बानियां सिखों ने की है जिसे भुलाया नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस संसद में बैठकर अमित शाह बयान दे रहे हैं वह सिखों की कुर्बानियों के कारण ही कायम हैं। धामी ने कहा कि सिखों की रिहाई संविधान के दायरे में रहकर की जा रही है और श्री गुरु नानक देव जी के 550 साला प्रकाशोत्सव के अवसर पर एक अधिसूचना जारी करके सरकार इसे स्वीकृत कर चुकी है। ऐसे में सरकार को केंद्रीय गृह मंत्री का बयान इस अधिसूचना की भावना के एकदम विपरीत है।

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एसजीपीसी के प्रधान ने कहा कि यह मामला बैठकर विचार विमर्श करने वाला है जिसके लिए श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी ने भी प्रधानमंत्री और उनसे मिलने के लिए समय मांगा हुआ है।