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पंजाब कांग्रेस में मची कलह, कैप्टन के खिलाफ बगावत के लिए जिन्होंने कंधे पर उठाया, अब उन्हीं को भारी लगने लगे Navjot Sidhu

Navjot Singh Sidhu कांग्रेस में सात साल के राजनीतिक कैरियर के दौरान यह दूसरा मौका है जब कांग्रेस के नेताओं ने सिद्धू को पार्टी से बाहर करने की मांग उठाई है। अहम बात यह है कि इस बार उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग उन्हीं नेताओं ने उठाई है जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत करने पर सिद्धू को कंधे पर उठाया था।

By Kailash Nath Edited By: Himani Sharma Updated: Thu, 21 Dec 2023 09:44 PM (IST)
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कैप्टन के खिलाफ बगावत के लिए जिन्होंने कंधे पर उठाया, अब उन्हीं को भारी लगने लगे सिद्धू (फाइल फोटो)

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर पार्टी नेताओं के निशाने पर आ गए है। कांग्रेस में सात साल के राजनीतिक कैरियर के दौरान यह दूसरा मौका है जब कांग्रेस के नेताओं ने सिद्धू को पार्टी से बाहर करने की मांग उठाई है। अहम बात यह है कि इस बार उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग उन्हीं नेताओं ने उठाई है जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत करने पर सिद्धू को कंधे पर उठाया था।

नवजोत सिंह सिद्धू राजनीतिक रूप से हो गए थे शिथिल

2022 के विधान सभा चुनाव के बाद नवजोत सिंह सिद्धू राजनीतिक रूप से शिथिल हो गए थे। वहीं, लोक सभा चुनाव के करीब आते ही सिद्धू फिर एक्टिव होने लगे है। जिस पर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सिद्धू को अलग से अखाड़ा हीं लगाना चाहिए। यह कोई पहला मौका नहीं है जब सिद्धू ‘एकला चलो रे’ की नीति पर चले हो।

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सिद्धू ने अपना कंपेन ‘जितेगा पंजाब’ किया था शुरू

2022 के विधान सभा चुनाव से पहले भी सिद्धू ने अपना कंपेन ‘जितेगा पंजाब’ शुरू किया था। 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू ने सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था। 2019 के लोक सभा चुनाव परिणाम आने के बाद कैप्टन द्वारा उनके विभाग में किए गए फेरबदल के बाद सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सिद्धू राजनीतिक रूप से हाशिये पर आ गए थे।

सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की सौंपी गई थी कमान

2021 में हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस का प्रदेश प्रभारी बनने के बाद कहा, सिद्धू भविष्य के नेता है। यह वह दौर रहा जब सिद्धू को पार्टी हाईकमान का समर्थन मिल रहा था और कांग्रेस में कैप्टन के खिलाफ बगावती सुर बढ़ रहे थे। कांग्रेस ने कैप्टन के विरोध के बावजूद सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी। सिद्धू के प्रधान बनने के बाद वहीं नेता जो आज उन्हें पार्टी से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं, वो उन्हें कंधे पर उठा कर चल रहे थे। कोई उनकी गाड़ी चलाता था तो कोई उनका छोटा भाई बना हुआ था।

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सिद्धू कैप्टन के खिलाफ ताल ठोक रहे थे और कांग्रेसी नेता उनके साथ चल रहे थे। सिद्धू का चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके साथ भी विवाद हुआ। विधान सभा चुनाव में 77 से 18 सीटों पर आने का ठीकरा भी कांग्रेसी नेताओं ने सिद्धू के सर पर फोड़ा। सिद्धू की प्रधानगी जाती रही। अब एक बार फिर सिद्धू कांग्रेसी नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। कैप्टन के खिलाफ बगावत में जिस सिद्धू के पीछे नेता चल रहे थे, वहीं अब उन्हें पार्टी से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं।