पिता ने फेरी लगाकर पढ़ाया-लिखाया, आज बेटा आयरलैंड में बन गया साइंटिस्ट; पूरे गुरदासपुर में गूंज रहा नाम
Gurdaspur News पंजाब के गुरदासपुर में पिता फेरी लगाकर अपने बेटे को सरकारी स्कूल में पढ़ाया-लिखाया। आज बेटे ने आयरलैंड में साइंटिस्ट बनकर पूरे गुरदासपुर का नाम रोशन कर दिया है। विभिन्न देशों में रिसर्च करने के बाद अब वह यूरोप के देश आयरलैंड की कंपनी में विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहा है। उसने कई युवाओं को प्रेरित किया है।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर। मन में हिम्मत और लगन हो तो कोई भी मंजिल प्राप्त की जा सकती है। संसाधनों की कमी भी हौसला रखने वालों के आड़े नहीं आती। इस बात को साबित कर दिखाया है गांवों में फेरी लगाकर लोगों की जरूरत का सामान बेचने वाले गांव हल्ला निवासी महिंदर पाल के बेटे पवन कुमार ने।
साधारण से परिवार से संबंधित उक्त युवक को अब लोग डॉ. पवन कुमार के नाम से जानते हैं। उसने प्राथमिक शिक्षा स्थानीय सरकारी स्कूल से प्राप्त करने के बाद सरकारी कालेज गुरदासपुर से बीएससी नान मेडिकल की पढ़ाई की। इसके बाद उसने नेनो टेक्नालोजी में एमएससी करने के बाद पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। विभिन्न देशों में रिसर्च करने के बाद अब वह यूरोप के देश आयरलैंड की कंपनी में विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहा है।
परिवार के पास नहीं थे पैसे
उसके पिता महिंदर पाल ने बताया कि पवन ने बीएससी तो अपनी मेहनत से कर ली, लेकिन उसे आगे पढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। फिर उनका संपर्क वर्तमान में पंजाब हेल्थ सिस्टम कार्पोरेशन के चेयरमैन रमन बहल के साथ हुआ। उनकी सहायता से उसकी एमएससी की पढ़ाई पूरी हुई।
अच्छे अंक आने के कारण उसे छात्रवृत्ति मिल गई और उसने अपने दम पर पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर ली। उनके परिवार में इतनी पढ़ाई करने वाला पवन ही ऐसा अकेला है, जिस पर पूरे जिले को गर्व है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि वे भी जिले का नाम रौशन कर सकें।
पीएचडी के बाद यूएस में की रिसर्च
पवन ने बताया कि बहल, प्रोफेसर खन्ना और डाक्टर पन्नू के सहयोग से उसने एमएससी तक की पढ़ाई की थी। पीएचडी करने के बाद उसने अमेरिका में रिसर्च का काम किया। इसके बाद कनाडा और साऊथ कोरिया में एनर्जी के क्षेत्र में काम किया।
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इस समय वह आयरलैंड में यूरोप की कंपनी में विभिन्न वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहा है। वह ऐसी स्याही बनाने पर काम कर रहा है, जो सामान्य रौशनी में दिखाई न दे। उसने युवाओं से अपील की है कि वे मेहनत करें क्योंकि इसका फल अवश्य मिलता है। उसकी पीएचडी पत्नी डॉ. निकिता ने बताया कि उसके पति मेहनती व जमीन से जुड़े इंसान हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे अपनी ल गन से एक दिन नोबल प्राइज जीतेंगे।