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टिकट न मिलने से नाराज केपी का नया पैंतरा, चंडीगढ़ में 15 को दलित पंचायत बुलाई

टिकट कटने से नाराज जालंधर के पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी ने केपी ने कांग्रेस में टिकट की खरीद-फरोख्त किए जाने का आरोप लगाया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Sat, 13 Apr 2019 10:50 AM (IST)
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टिकट न मिलने से नाराज केपी का नया पैंतरा, चंडीगढ़ में 15 को दलित पंचायत बुलाई

जासं, जालंधर: टिकट न मिलने से नाराज चल रहे पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी ने कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाने के पैंतरे अपनाने शुरू कर दिए हैं। केपी ने कांग्रेस में टिकट की खरीद-फरोख्त किए जाने का आरोप लगाते हुए 15 अप्रैल को चंडीगढ़ में दलित पंचायत बुलाई है। केपी ने कहा है कि जितने भी अनुसूचित जाति से संबंधित नेता टिकट वितरण में नजरअंदाज किए गए हैं वह सब 15 अप्रैल को चंडीगढ़ में मीटिंग करके अगली रणनीति तय करेंगे। केपी ने कहा कि सभी नाराज नेता चुनाव में उतर सकते हैं।

टिकट वितरण में पूर्व कांग्रेस प्रसाद शमशेर सिंह दूलों के करप्शन के आरोपों पर सहमति जताते हुए केपी ने कहा कि अब यह बातें होने लगी हैं कि कांग्रेस में पैसे लाओ टिकट पाओ कल्चर आ गया है। केपी ने कहा कि वह होशियारपुर में टिकट न मिलने से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष चौधरी, शमशेर सिंह दूलो, चौधरी त्रिलोचन सिंह, श्री दाखा समेत सभी नाराज अनुसूचित जाति से संबंधित नेताओं को आमंत्रित कर रहे हैं। मीटिंग में तय किया जाएगा कि चुनाव में कौन-कौन आएगा। अगर जालंधर में चौधरी संतोख सिंह ने 22 अप्रैल को नामांकन का दिन तय कर लिया है तो वह भी 15 को इसकी घोषणा कर सकते हैं।

केपी ने कहा-न रिव्यू हुआ, न एडजस्टमेंट की बात

मोहिंदर सिंह केपी ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनकी पूरी बात सुनी और तसल्ली दी कि रिव्यू किया जा रहा है। इंचार्ज आशा कुमारी और प्रधान सुनील जाखड़ से भी बात हुई। टिकट को लेकर रिव्यू अब तक नहीं किया गया। सबने आश्वासन तो दिया लेकिन उसके बाद क्या किया, इसकी कोई जानकारी नहीं दी। किसी ने भी नाराज और नजरअंदाज नेताओं की पार्टी में एडजस्टमेंट पर भी कोई बात नहीं की। उन्होंने कहा कि कोई यह न समझे कि वह राजनीति से संन्यास लेकर बैठ जाएंगे।

राहुल गांधी के मिशन में रोड़ा अटकाने की साजिश

केपी ने कहा कि टिकट वितरण के लिए ठीक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। अगर किसी से इस बारे कंसल्ट किया गया होता तो ऐसे हालात न बनते। केपी ने आशंका जताई कि पार्टी में कुछ ऐसे लोग हैं जो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के मिशन को पूरा नहीं होना देना चाहते। इसके पीछे कुछ नेता साजिश कर रहे हैं। पंजाब की कांग्रेस सरकार में पहली बार दलितों का प्रतिनिधित्व कम हुआ है। दलित समाज से दो बढ़े सेक्टर रविदासिया और वाल्मीकि समाज हैं। इनका गढ़ दोआबा है और दोनों बिरादरियों का प्रतिनिधित्व सरकार मे जीरो है। इस समय सरकार में सिर्फ तीन अनुसूचित जाति के मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, अरुणा चौधरी और चरणजीत सिंह चन्नी हैं। चन्नी रामदासिया सिख समाज से हैं, धर्मसोत बाजीगर बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों मालवा का प्रतिनिधत्व करते हैं। अरुणा चौधरी रविदासिया समाज से हैं।

दोआबा से रविदासिया और वाल्मिकी समाज का प्रतिनिधित्व जीरो

दोआबा से रविदासिया समाज और वाल्मीकि समाज से किसी को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। रविदासिया समाज से हर बार कई मंत्री रहे हैं लेकिन इस बार कोई नहीं है। पिछली कांगेस सरकार में सिर्फ जालंधर से ही चौधरी जगजीत सिंह, मोहिंदर सिंह केपी मंत्री थे। वहीं, हरचरण सिंह बराड़ की सरकार में तो चौधरी संतोख सिंह, चौधरी जगजीत सिंह समेत कई अनुसूचित जाति के मंत्री थे। दोआबा में करीब 50 दलित आबादी है। चौधरी सुरिंदर सिंह, सुशील रिंकू, डॉ. राजकुमार चब्बेवाल दोआबा से रविदासिया समाज से विधायक हैं जबकि पवन आदिया वाल्मिकी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोआबा में दलितों की आबादी देश में सबसे ज्यादा हैं। कइ बड़े डेरे जालंधर में हैं लेकिन रविदासिया समाज को पहली बार प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। पंजाब में वाल्मिकी समाज के बड़े नेता डॉ. राजकुमार वेरका को भी चेयरमैन बना कर ही संतुष्ट किया गया है।

दोआबा की दोनों संसदीय सीटें एससी रिजर्व

अनुसूचित जाति संबंधी आबादी के कारण ही दोआबा की दोनों सीटें जालंधर व होशियारपुर एससी रिजर्व हैं। लोस में दोआबा का प्रतिनिधित्व दलित सांसद करते हैं लेकिन पंजाब सरकार में एक भी दलित विधायक को जगह न मिलने से असंतोष फैल सकता है। इसे भुनाने की कोशिश ही नाराज नेता मोहिंदर सिंह केपी और संतोष चौधरी कर सकते हैं। चंडीगढ़ में यह भी मुद्दा उठेगा कि कैप्टन ने सीनियर दलित लीडरों को विधानसभा चुनाव में पीछे रखा ताकि कैबिनेट में जगह न देनी पड़े।

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