Punjab News: पराली के धूएं से लोगों की आंखों में हो रही जलन और फेफड़ों पर हो रहा असर, ओपीडी में बढ़ रहे मरीज
पर्यावरण के प्रदूषित होने से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ राहुल जिंदल ने आइ स्पेशलिस्ट व ईएमओ को सभी मरीजों का चेकअप कर दवा देने के लिए खास निर्देश दिए हैं। ताकि इन हालात में मरीजों को परेशानी न हो। सिविल अस्पताल में आंखों में जलन व सांस की बीमारी के मरीजों की ओपीडी में ढाई गुना बढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब। मुक्तसर में पराली जलाने के लगातार केस सामने आने से एक्यूआइ काफी खराब स्थिति में चला गया था। इसी के कारण बहुत सारे लोग आंखों में जलन व सांस की बीमारी से ग्रस्त हो गए है। सिविल अस्पताल में आंखों में जलन व सांस की बीमारी के मरीजों की ओपीडी में ढाई गुना बढ़ गई है।
पर्यावरण के प्रदूषित होने से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ राहुल जिंदल ने आइ स्पेशलिस्ट व ईएमओ को सभी मरीजों का चेकअप कर दवा देने के लिए खास निर्देश दिए हैं। ताकि इन हालात में मरीजों को परेशानी न हो।
आइए जानते हैं सिविल अस्पताल में आंखों व सांस के मरीजों की नवंबर माह में कितनी संख्या बढ़ी
- 1728 आंखों से संबंधित मरीजों में अधिकांश पराली के धुएं से आंखों में जलन के आए।
- 1489 सांस के मरीजों में अधिकांश पराली के धुएं की समस्या के कारण सिविल अस्पताल में आए।
- 1600 से ज्यादा स्थानों पर अभी तक पराली जल चुकी है।
- 50 से अधिक स्थानों पर अभी भी पराली रोज जल रही है।
- 300 से ज्यादा मरीज रोज सांस व आंखों में जलन के आ रहे हैं।
- 65-70 आम दिनों में आंखों व सांस के मरीजों की ओपीडी रहती है।
पराली के धुएं से मानव शरीर पर नुकसान
सिविल अस्पताल के डाक्टरों मुताबिक पराली का धुआं फेफड़ों और हार्ट को काफी नुकसान पहुंचाता है। एक सप्ताह तक यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति पराली के धुएं को जाने अनजाने में श्वास के जरिए अपने शरीर में ले जाता है तो इससे उसे फेफड़ों में इन्फेक्शन और फेफड़ों का दमा हो सकता है। इसी तरह धुआं आंखों पर भी दुष्प्रभाव डालता है। आंखों से पानी निकलना,धुंधला दिखना जैसी बीमारी होती है।
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ऐसे करें बचाव
सिविल सर्जन डॉ रीटा बाला ने बताया कि धान की पराली के धुआं से आंखों में जलन व सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे बचने के लिए आंखों को बार बार ठंडे पानी से धोएं। घर से बाहर किसी कार्यवश ही निकलें। घर से निकलते समय आंखों पर चश्मे का प्रयोग करें। वहीं बुजुर्ग व्यक्ति घर पर रहें। रात्रि के समय कमरे के अंदर ही सोएं। सांस व आंखों में अधिक जलन होने पर चिकित्सक को दिखाकर परामर्श जरूर लें।