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न्यायपालिका पर टिप्पणी मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने CM गहलोत को जारी किया नोटिस, तीन सप्ताह में मांगा जवाब

सीएम गहलोत के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही की मांग करने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिस पर उन्हें नोटिस जारी किया गया है। बता दें कि हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात कही थी। इस पर वकील शिवचरण गुप्ता ने गुरुवार को हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 02 Sep 2023 04:17 PM (IST)
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हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सीएम गहलोत को नोटिस जारी किया है। (फाइल फोटो)
जयपुर, पीटीआई। राजस्थान हाई (Rajasthan HC) कोर्ट ने शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM ashok Gehlot) को कारण बताओ नोटिस जारी किया। सीएम गहलोत के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही की मांग करने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर उन्हें नोटिस जारी किया गया है।

सीएम से तीन सप्ताह में मांगा गया जवाब

जस्टिस एम एम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। याचिका पर सुनवाई करने के बाद पीठ ने सीएम को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

सीएम ने न्यायपालिका पर की थी टिप्पणी

बता दें कि हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात कही थी। इस पर वकील शिवचरण गुप्ता ने गुरुवार को हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा था,

आज न्यायपालिका में भ्रष्टाचार व्याप्त है। मैंने ऐसा सुना है कि कुछ वकील खुद ही फैसला लिखते हैं और खुद ही फैसला सुनाते हैं।

उन्होंने कहा था कि हमने हाई कोर्ट में जज बनाने में कई लोगों की सिफारिश की होगी। आज से 25 साल पहले मुख्यमंत्री हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनाने की सिफारिश करते थे।

बयान के बाद सीएम की हुई थी आलोचना

सीएम गहलोत के इस बयान के बाद उनकी आलोचना हुई। इसके बाद सीएम ने अपने बयान को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया। मुख्यमंत्री ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि ये बयान उनकी व्यक्तिगत राय नहीं है। सीएम ने भरोसा जताया कि उन्होंने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान किया है और इसमें उनका विश्वास है।

सीएम के बयान पर इतना हंगामा हुआ था कि शुक्रवार को इसके विरोध में जोधपुर में हजारों अधिवक्ताओं ने हाई कोर्ट और निचली अदालतों में काम करने से मना करते हुए सामूहिक रूप से बहिष्कार किया था।

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