Rajasthan Organ Transplant: फर्जी NOC पर सालों से चल रहा था अंग प्रत्यारोपण का खेल, गहलोत कार्यकाल में हुआ ये बदलाव और फिर...
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि यह गड़बड़ी 2020 से चल रही थी। 2022 में दोनों कमेटियों को मिलकर एक कर दिया गया। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुधीर भंडारी ने कुलपति बनने के बावजूद कमेटी के चेयरमैन का पद नहीं छोड़ा था। उन्होंने कहा कि एसएमएस में अतिरिक्त अधीक्षक डॉ राजेंद्र बागड़ी को निलंबित कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में फर्जी एनओसी से अंग प्रत्यारोपण मामले में सरकारी अधिकारियों व चिकित्सकों की मिलीभगत सामने आई है। जांच में सामने आया कि जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल को अंग प्रत्यारोपण की एनओसी जारी करने का अधिकार था। इसके लिए दो कमेटियां कई सालों से काम कर रही थीं, लेकिन पिछली अशोक गहलोत सरकार ने दोनों कमेटियों को एक कर दिया था।
समय पर नहीं हुई बैठक
एसएमएस के जिन चिकित्सकों को अंग प्रत्यारोपण की एनओसी जारी करने वाली कमेटी में शामिल किया गया था, उन्होंने गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कमेटी की समय पर बैठक ही नहीं की, जिसका लाभ उठाकर एसएमएस अस्पताल का सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह निजी अस्पतालों को पैसे लेकर फर्जी एनओसी देता रहा।
कई डॉक्टर बर्खास्त
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि यह गड़बड़ी 2020 से चल रही थी। 2022 में दोनों कमेटियों को मिलकर एक कर दिया गया। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुधीर भंडारी ने कुलपति बनने के बावजूद कमेटी के चेयरमैन का पद नहीं छोड़ा था। उन्होंने कहा कि एसएमएस में अतिरिक्त अधीक्षक डॉ राजेंद्र बागड़ी को निलंबित करने के साथ ही 16 सीसीए का नोटिस दिया गया है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजीव बगहरट्टा और अधीक्षक डॉ अचल शर्मा को पूर्व में बर्खास्त किया जा चुका है। दोनों को 16 सीसीए का नोटिस दिया गया है। खींवसर ने कहा, 2020 से 2023 तक विभिन्न स्तरों पर लापरवाही व अनियमितता हुई है।
171 विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण हुआ
खींवसर ने कहा कि प्रदेश में 15 अस्पतालों में मानव अंग प्रत्यारोपण किया जा रहा था। इनमें चार सरकारी एवं 11 निजी अस्पतालों में प्रत्यारोपण किया जा रहा था। जांच में सामने आया कि पिछले एक साल में करीब 945 प्रत्यारोपण हुए हैं। इनमें से 82 सरकारी अस्पतालों एवं 863 निजी अस्पतालों में हुए हैं। इनमें से 933 का रिकार्ड उपलब्ध हो गया। इनमें 882 किडनी और 51 लीवर ट्रांसप्लांट हुए हैं।
171 विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण
प्रत्यारोपण के 269 मामले ऐसे सामने आए हैं। एक साल में हुए कुल प्रत्यारोपण में से 171 विदेशी नागरिकों के थे। विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण चार अस्पतालों में हुए, जिनमें फोर्टिस में 103, ईचसीसी में 34, मणिपाल में 31 व महात्मा गांधी अस्पताल में दो प्रत्यारोपण हुए हैं। फोर्टिस, ईएचसीसी और मणिपाल अस्पताल के अंग प्रत्यारोपण के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। तीनों अस्पतालों के खिलाफ पुलिस की जांच जारी है।
दो चिकित्सकों को रिमांड पर भेजा
मामले की जांच कर रही एसआइटी ने बुधवार को तीन दिन पहले गिरफ्तार किए गए फोर्टिस अस्पताल के डॉ जितेंद्र गोस्वामी और डॉ संदीप गुप्ता को जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने दोनों चिकित्सकों को छह दिन के रिमांड पर भेजने के आदेश दिए हैं।
मामले की जांच शुरू
गुरुग्राम के ओल्ड डीएलएफ कालोनी निवासी एक व्यक्ति द्वारा जयपुर के मणिपाल अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण कराए जाने के मामले की जांच जयपुर पुलिस ने शुरू कर दी है। गुरुग्राम में मारपीट के मामले में आरोपित इस व्यक्ति ने कोर्ट से जमानत लेने के लिए किडनी प्रत्यारोपण के कागजात लगाए थे। इसी को आधार बनाकर पीडि़त ने आरोपित के खिलाफ सरकार से शिकायत की थी। सेक्टर 14 में अक्टूबर 2023 में सेवानिवृत्त जज के साथ टहलने के दौरान कुछ लोगों ने एक व्यक्ति से मारपीट की थी।
2024 में पीएमओ तक पहुंचा मामला
अदालत में जमानत लेने के दौरान मामले में आरोपित एक अन्य व्यक्ति ने कहा था कि उसने अपने भतीजे से किडनी ली थी और वह इस हालत में नहीं था कि मारपीट कर सके। उसने कोर्ट में जयपुर के मणिपाल अस्पताल से किडनी ट्रांसप्लांट कराए जाने के कागज भी दिए थे। मारपीट के मामले में पीडि़त व्यक्ति ने फर्जी तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट की आशंका जाहिर करते हुए 28 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री कार्यालय, जयपुर स्वास्थ्य विभाग और राजस्थान सीएम विंडो को इसकी शिकायत भेजी थी। इसके बाद अब इस मामले की जांच जयपुर के विद्यानगर थाने को दी गई है। थाने में तैनात एक महिला पुलिस कर्मी को जांच अधिकारी बनाया गया है। उनका कहना है कि उन्हें ई-मेल से शिकायत मिली थी। जल्द ही जांच के बाद वह अपनी रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपेंगी। फिलहाल उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।