Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Magh Ekadashi 2024 Date: माघ माह में कब है षटतिला एकादशी और जया एकादशी? यहां जानें शुभ मुहूर्त

Magh Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान पूजा की पूजा-व्रत करने का विधान है। एकादशी व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और इसके अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। पौष माह के बाद अब माघ माह की शुरुआत 26 जनवरी से होगी। इस माह में षटतिला एकादशी और जया एकादशी व्रत है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 22 Jan 2024 12:42 PM (IST)
Hero Image
Magh Ekadashi 2024 Date: माघ माह में कब है षटतिला एकादशी और जया एकादशी? यहां जानें शुभ मुहूर्त

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Ekadashi 2024 Date: एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह में 2 बार एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस दिन साधक भगवान विष्णु जी के लिए व्रत रखते हैं और उनसे सुख-शांति का आशीर्वाद मांगते हैं। एकादशी व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और इसके अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। पौष माह के बाद अब माघ माह की शुरुआत 26 जनवरी से होगी। इस माह में षटतिला एकादशी और जया एकादशी व्रत है। चलिए हम आपको बताएंगे कि माघ माह में षटतिला एकादशी और जया एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

षटतिला एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त

माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, षटतिला एकादशी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 24 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 6 फरवरी को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी को है।

यह भी पढ़ें: Vastu Tips For Business: वास्तु शास्त्र के इन नियमों का करें पालन, बिजनेस में होगी तेजी से बढ़ोतरी

जया एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त

माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, जया एकादशी की तिथि का आरंभ 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से होगा और इसके अगले दिन यानी 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर तिथि का समापन होगा। व्रती 20 फरवरी को भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-व्रत कर सकते हैं।

एकादशी पूजा विधि

  • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
  • अब चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  • पीले चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक करें और दीया जलाकर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • इसके बाद विष्णु चालीसा का पाठ और आरती करें।
  • अब खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को शामिल करें।
  • अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

यह भी पढ़ें: Lakshmi ji Puja Niyam: मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान अपनाएं ये वास्तु टिप्स, नहीं सताएगी पैसों की कमी


डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'