Mahananda Navami 2023: महानंदा नवमी कब? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Mahananda Navami 2023 विवाहित महिलाएं इस दिन दिनभर उपवास रखती हैं और रात में चंद्रमा भगवान के दर्शन करने के बाद अपना उपवास खोलती हैं। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी और दुर्गा जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
नई दिल्ली, Mahananda Navami 2023: हिंदू धर्म में महानंदा नवमी के व्रत को काफी शुभ माना जाता है। यह व्रत माघ, भाद्रपद और मार्गशीर्ष के महीनों के दौरान पड़ने वाले शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी का व्रत रखा जाता है। गुप्त नवरात्रि के नवमी तिथि को पड़ने के कारण इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन के स्नान, दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि महानंदा नवमी को 'ताल नवमी' भी कहा जाता है। जानिए महानंदा नवमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
महानंदा नवमी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आरंभ- 29 जनवरी को सुबह 9 बजकर 5 मिनट से शुरू
माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि समाप्त- 30 जनवरी को सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक
महानंदा नवमी 2023 तिथि- 29 जनवरी 2023
महानंदा नवमी 2023 का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महानंदा नवमी के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से हर कष्ट समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। महानंदा नवमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को वर्तमान और पिछले जन्मों के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
मां लक्ष्मी के साथ मां दुर्गा की पूजा का विधान
किंवदंतियों के अनुसार, देवी दुर्गा शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक हैं। माना जाता है कि देवी दुर्गा की पूजा करने से सभी बुरी आत्माओं पर विजय प्राप्त होती है। इसी के कारण उन्हें 'दुर्गतिनाशिनी' भी कहा जाता है जिसका अर्थ है वह जो सभी कष्टों को दूर करती है। इसलिए जो लोग देवी दुर्गा की भक्ति पूर्वक पूजा करते हैं, वे अपने सभी दुखों और शोकों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। महानंदा नवमी तिथि को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों चंद्रघंटा, शैलपुत्री, कालरात्रि, स्कंद माता, ब्रह्मचारिणी, सिद्धिदायिनी, कुष्मांडा, कात्यायनी और महागौरी की पूजा करने का विधान है।
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