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Bangladeshi Infiltration: पुलिस की अनदेखी, नेताओं की मिलीभगत से बसीं बांग्लादेशियों की बस्तियां

Bangladeshi Infiltration In Agra शहर में जगह-जगह हैं कबाड़ के गोदाम और अवैध झुग्गी-झोपड़ियां। झुग्गियों में रहने वाले अधिकांश ने एजेंटाें की मदद से बनवा लिए आधार कार्ड। 32 बांग्लादेशी घुसपैठिए गिरफ्तार करने के बाद छानबीन तेज।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Fri, 10 Feb 2023 06:56 AM (IST)
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Bangladeshi Infiltration: पुलिस की अनदेखी, नेताओं की मिलीभगत से बसीं बांग्लादेशियों की बस्तियां

आगरा, जागरण संवाददाता। पुलिस और नगर निगम की अनदेखी, स्थानीय नेताओं की मिलीभगत से शहर में अवैध बस्तियां बसती चली गईं। जिसने बांग्लादेशी घुसपैठियों की राह को आसान किया। उन्होंने शहर से लेकर देहात तक कबाड़ के गोदाम बनाए। जिसके आसपास अपनी बस्तियां बसा लीं। लंबे समय वहां रहने के दौरान जुगाड़ लगाई। नेताओं और उनके एजेंटों के माध्यम से अपना आधार कार्ड बनवा लिया। जिले में वर्तमान में सैकड़ों बांग्लादेशी इस तरह की बस्तियां बनाकर रह रहे हैं। जिन्हें पकड़ना पुलिस के लिए अब चुनौती साबित हो रहा है।

खुफिया एजेंसी ने 32 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया

सेक्टर 14 आवास विकास कालोनी सिकंदरा में खुफिया एजेंसी की सूचना पर पुलिस ने छापा मारा। बस्ती बनाकर रहते 32 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया। इनके साथ आठ बच्चे भी हैं। खुफिया एजेंसी की कार्रवाई के बाद पुलिस अब शहर से लेकर देहात तक कबाड़ गोदामों के आसपास बसी बस्तियाें में रहने वालों की छानबीन कर रही है। वर्ष 2011 में हिंदूवादी संगठनों ने छावनी परिषद के एक बंगले में कई सौ मतदाता होने पर सवाल उठाया था। इसे लेकर प्रदर्शन किया था।

जनसेवा केंद्रों के एजेंटों को रुपये देकर बनवाए आधार कार्ड

घुसपैठियों ने पुलिस को अपने आधार कार्ड बनवाने का तरीका बताया था। किस तरह से वह जनसेवा केंद्रों के एजेंट काे रुपये देकर अपना काम कराते थे। दो हजार रुपये देने के बाद स्थानीय पार्षद से स्थाई निवास का पता लिखवाने का जिम्मा एजेंट लेता है। नेताओं की मिलीभगत के चलते वह फर्जी प्रपत्रों की मदद अपना आधार कार्ड बनवा लेते हैं।

पुलिस कर रही बस्तियों की छानबीन

शहर और उससे लगे ग्रामीण इलाकों में कूड़ा बीनने वालों की संख्या में कुछ वर्ष से अचानक वृद्धि हुई है। यह कूड़ा बीनने वाले किसी से बात नहीं करते। कालोनियों में घूमते हैं। वर्तमान में सदर के रोहता, उखर्रा, एनसी वैदिक स्कूल के पास और ताजगंज में इस तरह की बस्तियां हैं।शक है कि इन बस्तियाें में बांग्लादेशी घुसपैठिया रहते हैं। इसके अलावा रकाबगंज में बिजलीघर के आसपास, न्यू आगरा थाना क्षेत्र, सिकंदरा आवास विकास कालोनी, फतेहपुर सीकरी और कागारौल में भी इस तरह की बस्तियां हैं। जिनमें बांग्लादेशियों के रहने का शक है। पुलिस अब इन बस्तियों की छानबीन कर रही है।

घुसपैठियों को बांग्लादेशी साबित करना भी चुनौती

घुसपैठियों को बांग्लादेशी साबित करना भी आसान नहीं है। रुनकता में वर्ष 2018 में बांग्लादेशी सईद उल गाजी का परिवार पुलिस ने पकड़ा था। जमानत मिलने के बाद वह रुनकता में रह रहा है। उसे डिपोर्ट नहीं करने के कई कारण सामने आए। आरोपित बांग्लादेशी है, उसे तभी डिपोर्ट किया जा सकता है, जब वहां की सरकार यह माने की आरोपित उनका नागरिक है।

सलमान के स्वजन को दिल्ली से बुलाया

रुनकता में सईदउल गाजी के कबाड़ गोदाम से पुलिस ने सलमान को पकड़ा था। उसके बांग्लादेशी होने पर शक है। वह खुद को भारतीय और दिल्ली का रहने वाला बता रहा है। पुलिस ने सलमान के स्वजन को पूछताछ के लिए दिल्ली से बुलाया है। फिलहाल उसे छोड़ दिया है। पुलिस ने उसे बिना अनुमति शहर से बाहर नहीं जाने की कहा है।

जेल भेजे गए बांग्लादेशी घुसपैठियों के अभियाेग का न्यायालय में जल्द विचारण कराया जाएगा। उन्हें डिपोर्ट करने के लिए दूतावास से पत्राचार किया जाएगा। - मयंक तिवारी सहायक पुलिस आयुक्त हरीपर्वत सर्किल