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G-20 Delegates Visit Agra: आज आएंगे प्रतिनिधि, दुल्हन सा सजा आगरा, दिख रहा अतुल्य भारत

जी-20 देश के प्रतिनिधि शुक्रवार शाम को आगरा पहुंचेंगे। रात्रि प्रवास के बाद शनिवार सुबह वे होटल ताज कन्वेंशन सेंटर में आयोजित बैठक में भाग लेंगे। यहां से शाम को आगरा किला देखने जाएंगे। रात्रि विश्राम के बाद रविवार सुबह बैठक में भाग लेंगे शाम को ताजमहल देखेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Fri, 10 Feb 2023 09:14 AM (IST)
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आगरा में शिल्पग्राम रोड पर लगाई गई भगवान कृष्ण की बांसुरी आने-जाने वाले पर्यटकों का मन-मोह रही है। जागरण

आगरा, जागरण टीम, (ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी)। यह मार्ग है, स्वागत का। संस्कृति का। संस्कार का। सत्कार का। अतिथि देवो भव की अनुभूति का। यहां आतिथ्य को अतिथि की प्रतीक्षा है। संस्कृति संयोग में मगन है। संयोग लालित्य का, कला का, चित्र का है। ताज दूर कहीं दिखेगा। सत्कार की संस्कृति यहां पग-पग पर दिखती है। दिखता है गर्व और होती है गर्वानुभूति। हो भी क्यों नहीं, जी-20 अपने आतिथ्य में आगे जो बढ़ रहा है।

जी-20 का नेतृत्व कर रहा भारत

अपना देश, विदेश का नेतृत्व जो कर रहा है। नेतृत्व के गर्व पर राजनीति किंतु, परंतु का आलिंगन कर सकती है। लेकिन, आगरा के इस मार्ग पर विराजमान ब्रज की अतिथि देवो भव की संस्कृति इसकी अनुमति नहीं देती है। क्योंकि, यहां उसकी बांहों में बांह डाले नृत्य, लालित्य, साहित्य बोल रहे हैं, वाह संस्कृति। संस्कृति से सत्कार का यह वाह, आठ किलोमीटर में आकार ले चुका है। इसकी आभा की अनुभूति खेरिया से ताजमहल तक हो रही है। सुबह के लिए शाम में सड़कें नहा रही हैं। चौराहे सज-धज कर तैयार हैं। तैयारी में चार चांद लगा रहे हैं। दीवारें समवेत स्वर में बोल रही हैं। ठहरो, चित्र देखो, नृत्य देखो, लालित्य देखो। देखो, अतुल्य भारत, समतुल्य आगरा।

सज धज कर तैयार खेरिया रोड

देश का वायु मार्ग खेरिया में विश्राम लेता है। यहीं से जी-20 देश के प्रतिनिधियों का मार्ग प्रारंभ होता है। विदेशी मित्र यहीं से धरामार्गी होंगे। वे कल आएंगे। हम आज आए हैं। आप से आप को मिलाने। यह साझा करने कि आप का अतिथि देवो भव, अतुल्य है। यहां का प्रबंधन अपने आप में संबोधन है। कुछ, पधारो म्हारे देश जैसा। यहां की रात दीपावली हो गई है, रोशनी राष्ट्ररंगी है और दिन वासंती। खेरिया मोड़ के दुकान-मकान सनातन की शान बढा रही हैं। गेरुआ रंग ओढ माहौल को सात्विक बना रही हैं। दुकान बिरियानी की हो या बेढई की, रंग गेरुआ ही है। सड़क के बीच में लगे गमले दमक रहे हैं। उनमें लगे फूल फूले नहीं समा रहे हैं।

बोल रहीं दीवारें

ईदगाह चौराहा पर मंदिर धर्म ध्वजा फहरा रहा है। मार्ग के बाईं तरफ दीवार पर सूर सरोवर दिख रहा है। इसमें उड़ रहे प्रवासी पंछी भारत का प्रेम दर्शा रहे हैं। बगल में भालू बता रहे हैं, यह वही देश है, जहां वे सुरक्षित हैं, संरक्षित हैं। हर कदम पर उकेरे गए ये चित्र तब और अनूठे हो जाते हैं, जब फिरोजाबाद की चूड़ी खनकती दिखती हैं। भदोही का कालीन पलक पावड़े बिछाए नजर आता है। दीवारों पर चित्र तो बहुत हैं, लेकिन राम मंदिर बरबस ही खींच लेता है। कुछ क्षण के लिए ही सही मन तन से अलग हो राम में रम जाता है। फिर दिखता है कला और संगीत का अनूठा संगम। साज बज रहे हैं, सुर लग रहे हैं, चित्र नृत्य कर रहे हैं, महसूस तो कीजिए। देखिए, दाईं ओर दिखेगा नया भारत, सशक्त भारत।

नारी सशक्तीकरण की धूम

दूर तक नारी सशक्तीकरण की धूम है। रेखांकन में सही, सर्वश्रेष्ठ अंकन है। बेटियों की उड़ान है, माताओं की पहचान है। आगे दीवारें योग कर रही हैं। दुनिया को बता रही हैं, अपनी योग सत्ता। यहां सत्ता व्यर्थ के अर्थ की भी दिखती है। व्यर्थ हो चुकी वस्तुओं से बना शेर व्यर्थ के अर्थ को बता रहा है, समझा रहा है, यह भारत है, यहां व्यर्थ का भी अपना अर्थ है। आठ किमी के बाद ताज के पहले दो हाथ आपस में जुडे मिलते हैं। स्वागत से संस्कार को जोडते हैं।

आज आएंगे अतिथि

रेखाचित्र ब्रज की संस्कृति प्रस्तुत करते हैं। नयनाभिराम के साथ आगे बढ़ते हैं। बरबस ही मन ब्रज की बातें करता है, ब्रज के रज को पुण्य बनाने वाले कान्हा को खोजता है। प्रश्न करता है, ब्रज है, ब्रज की रज है, कान्हा कहां है। आगे ताज है, कान्हा का साज कहां है। इतने में शिल्पग्राम आता है, बंसी वाले की बंसी दिखती है। हम वसुधैव कुटुंबकम के हैं, हमारा जी-20 है, जिसके प्रतिनिधियों, हमारे अतिथियों का आना महज शेष है।