UP Police : उत्तर प्रदेश के हर जिले बनाया जाएगा साइबर थाना, यूपी पुलिस ने चीन की इस हरकत के कारण लिया फैसला
Cyber police station in UP - साइबर धोखाधड़ी की वारदातों में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आधुनिक दौर में अपराध के इस बढ़ते हुए तरीके से निपटने के लिए पुलिस अब हाईटेक हो रही है। शनिवार को साइबर साक्षरता मिशन कार्यशाला में जिले के सभी एसीपी इंस्पेक्टर और चयनित दारोगा व सिपाहियों को साइबर अपराध से निपटने और तत्काल ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
जागरण संवाददाता, आगरा। लगातार बढ़ते साइबर अपराधों की रोकथाम और छोटे से छोटे साइबर अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए अब यूपी के हर जिले में साइबर थाना खोला जाएगा। जिन जिलों में साइबर सेल का ऑफिस है वहां उसे बदलकर साइबर थाने का गठन किया जाएगा। आगरा कमिश्नरेट के हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क बनाई जा रही है।
शनिवार को डॉ. भीम राव आंबेडकर विवि के खंदारी परिसर में जेपी सभागार में आयोजित पुलिस की साइबर साक्षरता मिशन कार्यशाला के दौरान पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह ने यह जानकारी दी है।
ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए विशेष प्रशिक्षण
साइबर धोखाधड़ी की वारदातों में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आधुनिक दौर में अपराध के इस बढ़ते हुए तरीके से निपटने के लिए पुलिस अब हाईटेक हो रही है। शनिवार को साइबर साक्षरता मिशन कार्यशाला में जिले के सभी एसीपी, इंस्पेक्टर और चयनित दारोगा व सिपाहियों को साइबर अपराध से निपटने और तत्काल ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया। एडीसीपी क्राइम डॉ. राजीव कुमार ने सभी को सरल भाषा में साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया।
चाइना कर रहा साइबर हमला, हर मामले की जांच जरूरी
एडिशनल कमिश्नर क्राइम डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि बरेली में डेढ़ लाख रुपए का मामला जांच करने पर 5,200 करोड़ का मामला निकला। आंकड़ों के अनुसार, 99 प्रतिशत मामलों में चाइना के लोगों की संलिप्तता पाई गई है।
चाइना से आकर यहां एप बनाकर कुछ लोगों के जरिए लाखों यूजर से थोड़ी-थोड़ी रकम ऐंठ कर हजारों करोड़ की धोखाधड़ी हो जाती है। अभी हाल ही में आगरा पुलिस द्वारा गेमिंग एप पर कार्रवाई के बाद बिटक्वाइन के रूप में हजारों करोड़ रुपए चाइना जाने से बचाए गए हैं। ऐसे में हर मामले की जांच जरूरी है।
साइबर शिकायत पोर्टल पर 16 हजार शिकायतें
साइबर सेल ने अपनी प्रस्तुति में एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बताया कि बीते कुछ वर्षों में साइबर अपराधों में 300 प्रतिशत के लगभग बढ़ोतरी हुई है। आगरा में 2020 में शुरू हुए साइबर शिकायत पोर्टल पर अब तक 16,369 शिकायत दर्ज हुई हैं जबकि हर 100 शिकायतों में से मात्र 10 ही दर्ज हो पाती हैं, क्योंकि थाना पुलिस को साइबर अपराध के बारे में सही जानकारी नहीं है। पीड़ित शिकायत के लिए सबसे पहले थाने आता है और वहां से उसे साइबर सेल भेज दिया जाता है।
20 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी
आगरा के आंकड़े देखें तो सालाना 20 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी साइबर अपराधियों के द्वारा की जा रही है। इस वर्ष साइबर सेल द्वारा पीड़ितों का 456 लाख रुपया बैंक खातों में सीज करवाया गया है। अभी तक पुलिस यह पैसा पीड़ितों को वापस नहीं करवा पाई है।
ट्रेनिंग के बाद इम्तिहान, फिर गलती पर कार्रवाई
पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि थाने में साइबर हेल्प डेस्क लगाई जाएगी। साइबर अपराधी हर 15 दिन में तरीका बदल देता है, इसलिए आज के प्रशिक्षण के बाद हर 15 दिन में साइबर साक्षरता के लिए वर्चुअल वर्कशाप आयोजित होंगी।
थाना प्रभारी और हेल्प डेस्क पर बैठने वाले पुलिसकर्मी इतना कुशल हो जाएं कि पीड़ित से तत्काल साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करवा पाएं और फोन न मिलने की स्थिति में साइबर सेल के पोर्टल पर खुद मामला दर्ज करवा पाएं। इससे तत्काल टीम जांच में जुट जाएगी और पीड़ित का पैसा वापस होने की उम्मीद बढ़ जायेगी।
इसके साथ ही देखा जाता है कि अपराधियों तक पहुंचने पर उनके लैपटॉप, कंप्यूटर में कुछ नहीं मिलता है। ऐसे में पुलिस का छापेमारी का तरीका बदलने और अपराध के सबूत इकट्ठा करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
सबूतों से अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पैरवी में मदद मिलेगी। कार्यशाला में आए पुलिसकर्मियों का पहले प्रशिक्षण फिर परीक्षा होगी। परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा। इसके बाद उन्हें सार्टिफिकेट दिया जाएगा और रिपोर्ट डीजीपी कार्यालय भेजी जाएगी।
बिना मुकदमे के भी हो सकती है रिकवरी
एडिशनल पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने बताया की कर्नाटक में मजिस्ट्रेट बिना मुकदमा दर्ज हुए धारा 457 के तहत पैसा वापसी के आदेश दे रहे हैं। ऐसे में कोई मामला सामने आने पर आगरा पुलिस भी इसी तरह न्यायालय में सबूत साथ केस प्रस्तुत कर सकते हैं। आईसीजेएस पोर्टल पर संबंधित अपराधी या अपराध किए जाने वाले मोबाइल नंबर या खाते का इतिहास मिल जायेगा। उसकी प्रति संलग्न कर के बिना मुकदमा पैसा वापसी और रिमांड भी ली जा सकती है।
मोबाइल है ठगी का सबसे बड़ा कारण
कार्यशाला में बताया गया कि भारत में इंटरनेट का 70 प्रतिशत इस्तेमाल मोबाइल से हो रहा है। विदेशों में मात्र 30 प्रतिशत इंटरनेट मोबाइल से इस्तेमाल होता है। यही कारण है कि गली - गली में साइबर अपराध के पीड़ित हैं।
कोई नहीं दे पाया मामूली जवाब
पुलिस कमिश्नर द्वारा जब कार्यशाला में पुलिसकर्मियों को साइबर शिकायत दर्ज करने के लिए पोर्टल पर लॉग इन करने का डेमो देने को कहा गया तो एक भी पुलिसकर्मी ने पोर्टल को कभी खोलने तक की बात पर हाथ नहीं उठाया। अधिकांश पुलिसकर्मी कार्यशाला में सिर्फ बैठकर समय व्यतीत करते नजर आए।