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Ram Mandir: भगवान राम को लाने में नाथ योगियों की बड़ी भूमिका, महंत अवेद्यनाथ ने जन्मभूमि आंदोलन को दिया था वैश्विक स्वरूप

गोरक्षपीठ की महंत परंपरा की पांच पीढ़ियों ने वृहद अध्याय जोड़ा। महंत गोपालनाथ 1855 से 85 तक मंदिर को लेकर मुखर रहे। योगीराज गंभीरनाथ वर्ष 1900 से 1917 तक सक्रिय रहे। इसके बाद जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन को निर्णायक स्थिति में पहुंचाने में महंत दिग्विजयनाथ महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ ने योगदान दिया। महंत अवेद्यनाथ ने जन्मभूमि आंदोलन को वैश्विक स्वरूप दिया था।

By Jagran News Edited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 21 Jan 2024 05:00 AM (IST)
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भगवान राम को लाने में नाथ योगियों की बड़ी भूमिका

मदन मोहन सिंह, गोरखपुर। सर्वोच्च सनातन संकल्प सिद्ध हो रहा है। श्रीरामलला अपनी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के गर्भगृह में प्राणप्रतिष्ठित हो रहे हैं। जन्मभूमि मुक्ति के पांच सौ साल के संघर्ष में एक बड़े कालखंड का नेतृत्व नाथ संप्रदाय ने किया है।

गोरक्षपीठ की महंत परंपरा की पांच पीढ़ियों ने वृहद अध्याय जोड़ा। महंत गोपालनाथ 1855 से 85 तक मंदिर को लेकर मुखर रहे। योगीराज गंभीरनाथ वर्ष 1900 से 1917 तक सक्रिय रहे। इसके बाद जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन को निर्णायक स्थिति में पहुंचाने में योगदान दिया महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ ने।

महंत दिग्विजयनाथ ने वर्ष 1934 से मंदिर आंदोलन को प्रखर और प्रबल बनाने का प्रयास शुरू किया। सनातन स्वाभिमान से जोड़ते हुए साधु-संतों को एक मंच पर ले आए। गोरक्षपीठ से जुड़े लोग बताते हैं कि महंत दिग्विजयनाथ मंदिर आंदोलन से इस तरह से जुड़े कि उन्हें प्रभु श्रीराम के प्रकटीकरण की अनुभूति होने लगी थी।

विवादित स्थल पर ताला जड़ दिया गया

वह अयोध्या में श्रीरामलला के प्रकटीकरण की तिथि 22 दिसंबर, 1949 से नौ दिन पहले ही अयोध्या पहुंच गए और अखंड रामायण का पाठ शुरू कर दिया। प्राकट्य के समय दिग्विजयनाथ वहां मौजूद थे। यहीं से आंदोलन को धार मिली। प्रकटीकरण का प्रकरण न्यायालय पहुंचा। परिणामस्वरूप विवादित स्थल पर ताला जड़ दिया गया।

दैनिक पूजा की अनुमति भी पुजारियों को मिल गई। कथित धर्मनिरपेक्षों के कुत्सित प्रयास जारी रहे, लेकिन श्रीरामलला के विग्रह को परिसर से बाहर करवा पाने में सफल नहीं हो पाए। महंत दिग्विजयनाथ की रणनीति ने उन्हें नाकाम कर दिया। प्रकटीकरण के बाद महंत दिग्विजयनाथ 1969 में ब्रह्मलीन होने तक श्रीरामजन्मभूमि के उद्धार के प्रति संकल्पित रहे।

महंत अवेद्यनाथ ने जन्मभूमि आंदोलन को वैश्विक स्वरूप दिया

राममंदिर आंदोलन में महंत दिग्विजयनाथ की भूमिका का उल्लेख करते हुए श्रीमत्पंचखंड पीठाधीश्वर स्मृतिशेष आचार्य धर्मेंद्र ने एक बार कहा था- ‘श्रीराम जन्मभूमि के उद्धार के मूल में महंत दिग्विजयनाथ की भूमिका वही रही, जो किसी मोबाइल सेट में उसके सिमकार्ड की होती है। अपने गुरु के प्रयासों को फलीभूत करने का दायित्व संभाला महंत अवेद्यनाथ ने। जन्मभूमि आंदोलन को वैश्विक स्वरूप दिया। शैव-वैष्णव के धर्माचार्यों को एक मंच पर लाने के बाद वर्ष 1984 में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया और आजीवन अध्यक्ष रहे।

महंत अवेद्यनाथ भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ सोते-जागते

सात अक्टूबर 1984 को अयोध्या से लखनऊ के लिए महंत अवेद्यनाथ के नेतृत्व में धर्मयात्रा निकाली गई। 14 अक्टूबर को लखनऊ पहुंची धर्मयात्रा ने सम्मेलन का स्वरूप ले लिया। बेगम हजरत महल पार्क में आयोजित सम्मेलन में 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। महंत अवेद्यनाथ भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ सोते-जागते थे। मंदिर में आने वाले हर महत्वपूर्ण व्यक्ति से अपने जीवन काल में राम मंदिर निर्माण देखने की इच्छा जरूर व्यक्त करते थे। महंत के ब्रह्मलीन होने से कुछ समय पहले जब आरएसएस के वर्तमान मुखिया केसी सुदर्शन उनसे मिलने आए तो वह बार-बार कहते रहे कि जीते-जी राम मंदिर बनते देखना चाहते हैं।

श्रीराम मंदिर उनके लिए राष्ट्र निर्माण का आंदोलन

नाथ पंथ के अध्येता और गोरखनाथ मंदिर से जुड़े डा. प्रदीप कुमार राव बताते हैं कि नाथ पंथ की आधुनिक पांच पीढ़ियों ने सड़क-संसद और न्यायालय तक श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर की लड़ाई लड़ी है। नाथ पंथ के पीठाधीश्वरों ने श्रीराम को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक माना है। श्रीराम मंदिर उनके लिए राष्ट्र निर्माण का आंदोलन था।

इन पीठाधीश्वरों ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को सिर्फ लड़ा नहीं, बल्कि उसे जिया है।गुरु के संकल्प को मूर्तरूप देने को योगी आदित्यनाथ ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी। समय-समय पर श्रीराम मंदिर आंदोलन को धार भी दिया। इक्कीसवीं सदी की दहलीज पर जब राम जन्मभूमि आंदोलन का स्वर जब धीमा पड़ने लगा, योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2003 में विराट हिंदू संगम का आयोजन गोरखपुर में किया। इस आयोजन में 100 संप्रदायों के दस लाख से अधिक रामभक्त शामिल हुए और जन्मभूमि आंदोलन ने पुन: गति पकड़ ली।

जन्मभूमि आंदोलन के लिए मील का पत्थर साबित हुआ

वर्ष 2006 में विश्व हिंदू महासंघ का गोरखपुर में सम्मेलन भी जन्मभूमि आंदोलन के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। मुख्यमंत्री होने के कारण तमाम व्यस्तता के बावजूद अयोध्या के लिए समय निकालते रहे। नव्य अयोध्या और मंदिर की भव्यता में कोई कसर न रह जाए, इसके लिए पूरी तरह सतर्क रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से संपन्न अयोध्याधाम के लिए योगी सरकार ने हर संभव कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ 67 बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। अयोध्या का दीपोत्सव अंतरराष्ट्रीय ख्याति बटोर चुका है। अयोध्या धाम विकास का कीर्तिमान बना रहा है।