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Operation Bhediya: घेरे से चकमा देकर फिर भागा चालाक भेड़िया 'अल्फा', बहराइच के 40 गांवों में दहशत बरकरार

यूपी के बहराइच में चालाक भेड़िया अल्फा एक बार फिर चकमा देकर भाग न‍िकला। भेड़िया ग्रामीणों के सामने से बकरी को गन्ने में उठा ले गया और मौत के घाट उतार दिया। लगातार हो रही घटनाओं से 40 गांवों के 100 मजरों में दहशत बरकरार है। बता दें अब तक दस लोग भेड़िए का शिकार बन चुके हैं जबकि 42 लोग घायल हो चुके हैं।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 18 Sep 2024 01:21 PM (IST)
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वनकर्मियों संग भेड़िए की निगरानी करते डीएफओ अजीत प्रताप सिंह, बीडीओ हेमंत यादव व अन्य।- जागरण

जागरण संवाददाता, महसी (बहराइच)। पोजीशन लिए असलहे से लैस शूटर्स। पकड़ो-पकड़ो, मारो-मारो की आवाज और सैकड़ों ग्रामीणों से बना चक्रव्यूह! एकबारगी लगा कि आज आतंक का अंत हो जाएगा, लेकिन घंटों की मशक्कत के बाद मायूसी हाथ लगी। चालाक भेड़िया "अल्फा" एक बार फिर चकमा देकर मौके से भाग गया।

सोमवार शाम के तकरीबन सात बजे सिसैया गांव निवासी रामकिशन की एक बकरी को भेड़िया लेकर भागा। घरवालों के साथ गांव के लोगों ने उसका पीछा किया, लेकिन भेड़िया बकरी को लेकर गन्ने के खेत में ओझल हो गया। वन विभाग की टीम शूटर्स व विशेषज्ञों के साथ मौके पर पहुंची। एक साथ दो ड्रोन भेड़िये के पीछे लगाये गए।

गन्ने के खेत में भेड़िये की मौजूदगी के संकेत मिलते ही वनकर्मी उसे पकड़ने की तैयारी में जुट गए। वन विभाग की रणनीति के मुताबिक गन्ने के एक किनारे जाल लगाया गया। शूटर्स खड़े किए गए। ड्रोन लगातार उसकी मूवमेंट पर नजर रख रहे थे। अब रात के दस बज चुके थे। सूचना पाकर विधायक सुरेश्वर सिंह भी समर्थकों के साथ मौके पर पहुंच गए। भेड़िया विधायक के घर के सामने लगे गन्ने के खेत में बकरी को निवाला बना रहा था।

चालाक भेड़िये के आगे धरी रह गई पूरी रणनीति

डीएफओ आपरेशन भेड़िया की कमान संभाल रहे थे। बीच खेत में बैठे भेड़िये को किनारे पहुंचाकर जाल में फंसाने की तैयारी थी। इशारा मिलते ही वन टीम के साथ सैकड़ों की संख्या में मौजूद ग्रामीण व असलहा लेकर समर्थकों संग खड़े विधायक हांका लगाते हुए गन्ने के खेत में प्रवेश कर गए। पूरे गन्ने के खेत को खंगाला गया, लेकिन चालाक भेड़िये के आगे पूरी रणनीति धरी रह गई। भेड़िया एक बार फिर चकमा देकर निकल गया।

40 गांवों के 100 मजरों में दहशत बरकरार

प्रभागीय वनाधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि कुनबे का शेष बचा आखिरी भेड़िया बहुत चालाक है। रात के अंधेरे का फायदा उठाकर निकल गया। उसे पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द पकड़ लिया जाएगा। तीन दिनों तक खामोश रहने के बाद लोगों में आस जगी थी कि अब भेड़िये के आतंक से राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लगातार हो रही घटनाओं से 40 गांवों के 100 मजरों में दहशत बरकरार है। अब तक दस लोग भेड़िए का शिकार बन चुके हैं, जबकि 42 लोग घायल हो चुके हैं।

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