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छह माह में 1500 जच्चा-बच्चा की बचाई जान, मिला सम्मान

गोंडा छह माह में 1500 जच्चा-बच्चा की जान बचाने वाली चिकित्सक का हुआ सम्मान।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 23 Jul 2022 11:55 PM (IST)
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छह माह में 1500 जच्चा-बच्चा की बचाई जान, मिला सम्मान

छह माह में 1500 जच्चा-बच्चा की बचाई जान, मिला सम्मान

नंदलाल तिवारी, गोंडा : यही वचन है सबसे सच्चा, रहे सुरक्षित जच्चा-बच्चा के संकल्प को साकार करने के लिए महिला अस्पताल की चिकित्साधिकारी डा. दीपमाला एक विशेष मुहिम चला रही है। एनीमिया से जूझ रही गर्भवती के सेहत की निगरानी के साथ ही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के माध्यम से फालोअप करके अब तक जनवरी 2022 से अब तक 1500 जच्चा-बच्चा की जिंदगी बचाई। कई जटिल मामलों का सुरक्षित प्रसव कराने के साथ ही रक्त की भी व्यवस्था कराई। कोरोना काल के बाद से अस्पताल की व्यवस्था पटरी पर आने लगी है। ओपीडी में प्रतिदिन 400 मरीज आ रहे हैं। हर दिन 50 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में महिला अस्पताल की चिकित्साधिकारी डा. दीपमाला हर माह 300 से अधिक प्रसव सिजेरियन आपरेशन के माध्यम से करा रही हैं। यही नहीं, गर्भवती के सेहत की निगरानी को लेकर वह कई स्तर से प्रयास कर रही हैं। ओपीडी में परामर्श लेने आने वाली गर्भवती को खानपान का ज्ञान दे रही हैं, एनीमिया से बचाव को लेकर जागरूक कर रही हैं। इस पर सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह, सीएमओ डा. रश्मि वर्मा, एसीएमओ एपी सिंह ने सम्मानित किया। ------------------------ आशा के माध्यम से होता है फालोअप - सबसे अधिक समस्या उन महिलाओं को होती है, जिनका हीमोग्लोबिन सात ग्राम से होता है। दरअसल, गर्भ में पल रहे शिशु की देखभाल के लिए शरीर का आकार तो बढ़ जाता है, मगर उसमें लाल रक्त कोशिकाओं की वृद्धि नहीं होती है। ऐसे में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने लगता है। इन महिलाओं को पौष्टिक आहार व आयरन की गोली खाने की सलाह दी जाती है। वैसे आशा कार्यकर्ता के माध्यम से इनका फालोअप किया जाता है। --------------------- यह है वजह - जिला महिला अस्पताल की चिकित्साधिकारी डा. माधुरी त्रिपाठी का कहना है कि शरीर में आयरन की कमी से खून की कमी हो जाती है। अनियमित खानपान,पौष्टिक भोजन की कमी व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करना ही इसका प्रमुख कारण है।