पूर्वांचल व बिहार के बच्चों की किडनी खराब कर रहे बैक्टीरिया-वायरस व फंगस, BRD के परीक्षण में खुलासा; खोजा गया इलाज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग ने उन 10 बैक्टीरिया-वायरस व फंगस के बारे में पता लगा लिया है जो पूर्वांचल और बिहार के बच्चो-किशोरों की किडनी पर अटैक कर उन्हें नेफ्रोटिक सिंड्रोम का शिकार बना रहे हैं। विभाग द्वारा अध्ययन कर कारक की खोज कर समुचित उपचार तलाश लिया गया है। ऐसे में अब रिपोर्ट आने से पहले ही इलाज संभव हो सकेगा।
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में 10 ऐसे बैक्टीरिया, वायरस व फंगस सक्रिय हैं, जो बच्चों और किशोरों की किडनी खराब कर उन्हें नेफ्रोटिक सिंड्रोम का शिकार बना रहे हैं। यह तथ्य सामने आया है बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में हुए अध्ययन में। इन सभी बैक्टीरिया, वायरस व फंगस (जीवाणु, विषाणु व कवक) का कल्चर कराकर सटीक एंटीबायोटिक दवा तय कर दी गई है। अब बच्चों-किशोरों को यह दिक्कत होने पर रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, तत्काल सटीक एंटीबायोटिक देकर बीमारी नियंत्रित की जा सकेगी।
कल्चर जांच की रिपोर्ट आने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। तब तक रोगियों को अंदाज से एंटीबायोटिक देनी पड़ती थी। कभी-कभी वह दवा काम नहीं करती थी और स्वयं के खिलाफ रेजिस्टेंस विकसित कर देती थी। इसे ध्यान में रखते हुए बाल रोग विभाग ने अध्ययन किया, ताकि इंफेक्शन के कारक बैक्टीरिया, वायरस व फंगस का पता लगाकर उनका सटीक उपचार खोजा जा सके।
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किडनी के 130 बाल रोगियों पर हुए अध्ययन में 26 बच्चों में किसी तरह का संक्रमण नहीं मिला, लेकिन 104 बच्चों-किशोरों पर 10 बैक्टीरिया, वायरस व फंगस ने हमला किया था। अध्ययन में गोरखपुर-बस्ती मंडल व बिहार के पश्चिमी चंपारण के डेढ़ साल से लेकर 16 साल तक के बच्चे-किशोर शामिल थे। इसमें एक की मौत हो गई, शेष सभी को बचा लिया गया। गंदा पानी, मच्छर, हवा में प्रदूषण आदि इन बैक्टीरिया, वायरस व फंगस के वाहक हैं।
अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि अध्ययन के परिणाम से यह तय करने में आसानी होगी कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम के बच्चों में कौन सी एंटीबायोटिक सर्वाधिक असरदार होगी। इससे बच्चों-किशोरों का उपचार तो आसान होगा ही भविष्य के लिए उन्हें सतर्क भी किया जा सकेगा।
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बच्चों में मिले थे ये बैक्टीरिया वायरस व फंगस
बैक्टीरिया : ट्यूबरक्लोसिस, स्टेफाइलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस, ई-कोलाई, क्लैबसीएला, स्यूडोमोनास, इम्पेरोकोकस।
फंगस : कैंडिडा, प्रोटियस।
वायरस : रेस्पेरेटरी सिनसीसियल।
इतने बच्चों में मिले ये इंफेक्शन
ट्यूबरकोलोसिस- 02
रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन- 36
सेप्टीसीमिया- 26
पेरीटोनाइटिस- 10
यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन- 22
मिक्स इंफेक्शन- 08
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में ऐसे एक वायरस, सात बैक्टीरिया व दो फंगस मिले हैं, जो बच्चों-किशोरों की किडनी खराब कर रहे हैं। अध्ययन से इनसे बच्चों को बचाने का उपाय ढूंढ लिया गया है। -डा. भूपेंद्र शर्मा, अध्यक्ष, बाल रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज
किडनी की बीमारी पैदा करने और रोगियों को गंभीर करने वाले कारक तत्वों को खोजकर उनका उपचार ढूंढा गया है। अब ऐसे रोगियों की रिपोर्ट आए बिना भी तत्काल सटीक उपचार शुरू हो सकेगा। -डा. राहुल सिंह, अध्ययनकर्ता