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बड़ी उपलब्धि: गोरखपुर विश्वविद्यालय को क्यूएस दक्षिण एशिया रैंकिंग में मिला 258वां स्थान, DDU में जश्न का माहौल

गोरखपुर विश्वविद्यालय को एक साल के भीतर दो बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड हासिल करने के बाद अब विश्वविद्यालय ने क्यूएस की दक्षिण एशियाई रैंकिंग में 258वीं रैंक हासिल की है। इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय में जश्न का माहौल है। क्यूएस की दक्षिण एशियाई रैंकिंग में गोरखपुर विश्वविद्यालय समेत प्रदेश से कुल तीन राज्य विश्वविद्यालयों को जगह मिली है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 10 Nov 2023 10:05 AM (IST)
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गोरखपुर विश्वविद्यालय को क्यूएस दक्षिण एशिया रैंकिंग में मिला 258वां स्थान। (फाइल)

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। विश्वविद्यालय ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित ‘क्यूएस’ की दक्षिण एशियाई रैंकिंग में 258वीं रैंक हासिल की है। नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड (3.78 सीजीपीए) के बाद यह वर्ष भीतर दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। गोरखपुर विश्वविद्यालय ने इसी के साथ ही क्यूएस इंडिया की रैंकिंग में भी टाप 100 में जगह बनाई है। इस बार भी उसे क्यूएस इंडिया की रैंकिंग में 96-100 के बैंड में शामिल किया गया है।

इससे पहले वर्ष 2020-21 में भी गोरखपुर विश्वविद्यालय ने भारत के लिए जारी क्यूएस रैंकिंग सूची में पहली बार टाप 100 में स्थान बनाया था। तब भारत के विश्वविद्यालयों में गोरखपुर विश्वविद्यालय को 96वीं रैंक मिली थी। एक साल के अंदर दूसरी बार बड़ी उपलब्धि पर विश्वविद्यालय में जश्न का माहौल है।

क्यूएस की दक्षिण एशियाई रैंकिंग में गोरखपुर विश्वविद्यालय समेत प्रदेश से कुल तीन राज्य विश्वविद्यालयों को जगह मिली है। इसमें मेरठ विश्वविद्यालय को 219वीं, लखनऊ विश्वविद्यालय को 238वीं तथा गोवि को 258वीं रैंक मिली है। इस बार कुल 280 उच्च शिक्षण संस्थाओं को रैंकिंग दी गई है। इसमें पहली बार भारत के कुल 148 विश्वविद्यालयों ने जगह बनाई है।

कैसे निकाली जाती है रैंकिंग

संस्था की शैक्षणिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, संकाय-छात्र अनुपात, प्रति पेपर उद्धरण, अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क, प्रति संकाय पेपर, पीएचडी के साथ संकाय कर्मचारी, अंतरराष्ट्रीय छात्र, अंतरराष्ट्रीय संकाय, इनबाउंड एक्सचेंज और आउटबाउंड एक्सचेंज के आधार पर रैंकिंग निकाली जाती है। यही इनके प्रमुख मानक हैं।

क्या कहती हैं कुलपति

यहां के शिक्षकों-कर्मचारियों में काफी क्षमता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी सपना है कि देश के विश्वविद्यालय ग्लोबल रैंकिंग में जाएं। इस दिशा में यह गोरखपुर विश्वविद्यालय के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोवि की अच्छी छवि बनेगी। -प्रो. पूनम टंडन, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोविवि की ओर आकर्षित होंगे अंतरराष्ट्रीय छात्र

क्यूएस की दक्षिण एशिया देशों की रैंकिंग में स्थान बनाने के बाद गोवि द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने की राह आसान हुई है। विदेशी छात्र किसी भी संस्थान की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग देखने के बाद ही प्रवेश लेते हैं। इस रैंकिंग से उत्साहित गोवि अब इंडियन काउंसिल फार कल्चरल रिलेशन (आइसीसीआर) के इम्पैनलमेंट में शामिल होने के लिए जल्द आवेदन करेगा। आइसीसीआर के जरिये ही विदेशी छात्र भारत में पढ़ने आते हैं। वहां से उनके विषय और रुचि के हिसाब से उच्च शिक्षण संस्थान आवंटित किए जाते हैं।

गोविवि में पहले से ही अंतरराष्ट्रीय छात्रावास की व्यवस्था है। विदेशी छात्रों के आने पर उनके लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था आइसीसीआर द्वारा ही की जाती है। करीब सभी देश विदेश में पढ़ने वाले अपने छात्रों के लिए फंडिंग करते हैं। गोवि भी विदेशी छात्रों को आकर्षित करने का खाका तैयार कर रहा है। लैंग्वेज सपोर्ट सिस्टम भी विकसित करने की तैयारी चल रही है।