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जल्‍दी करें, चने की बोआई का निकल जाएगा समय Gorakhpur News

इस समय 22 डिग्री के आसपास तापमान होने से चने की बोआई के लिए इस समय अच्छा समय है। अच्छी पैदावार के लिए किसानों को 30 नवंबर तक हर हाल में चने की बोआई कर लेनी चाहिए। अच्‍छा पैदावार भी होगा।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Mon, 09 Nov 2020 08:08 PM (IST)
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ये चने की खेती का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। लगातार गिर रहे तापमान के साथ ठंड ने भले ही दस्तक देनी शुरू कर दी है, लेकिन यह मौसम चने की बोआई करने वाले किसानों के लिए सबसे मुफीद है। 30 डिग्री से कम तापमान पर चने की बोआई करने पर जहां उपज अच्छी होती है, वहीं फसल में रोग लगने की आशंका भी कम हो जाती है। इस समय 22 डिग्री के आसपास तापमान होने से चने की बोआई के लिए इस समय अच्छा समय है। अच्छी पैदावार के लिए किसानों को 30 नवंबर तक हर हाल में चने की बोआई कर लेनी चाहिए।

दोमट मिट्टी है सर्वाधिक उपयुक्‍त

चने की खेती के लिए दोमट मिट्टी और जल निकासी वाले खेतों का चयन करना चाहिए। बोआई से पहले खेत की तीन जुताई जरूरी है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद दो जुताई देशी हल से करना बेहतर रहेगा। अच्छी उपज पाने के लिए बीज डालते समय किसानों को इस बात का खास तौर से ख्याल रखना चाहिए कि कतार से कतार के बीच की दूरी कम से कम 30 सेंटीमीटर हो। बीज इस तरह से डालें कि पौधे से पौधे के बीच की दूरी कम से 10 सेंटीमीटर रहे। बीच को पांच से आठ सेंटीमीटर की गहराई में बुआई करनी चाहिए।

उन्नत किस्म के बीच का करें चयन

चने के उन्नत किस्म के कई बीज उपलब्ध हैं। किसानों को इन्हीं का चयन करना चाहिए। जेजी 315, जेजी 63, जेजी 16 और जेजी 218 देशी चने की खेती के लिए काफी उन्नत किस्म का बीच माना जाता है। काबुली चने के लिए काक - 2 या जेजीके - 1 बीज बेहतर है। गुलाबी चने के लिए जवाहर चना - 5 या फिर जवाहर गुलाबी चना एक की बुआई कर सकते हैं। देरी से बोनी के लिए जल्दी पकने वाली किस्म जेजी 14 का चुनाव किया जा सकता है।

खर-पतवार से फसल को बचाना जरूरी

चने के खेत में खर-पतवार का प्रकोप अधिक होता है। मुख्य रूम से बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, हिरनखुरी, चटरी-मटरी, अकरा-करी, जंगली गाजर, गजरी, प्याजी, खरतुआ, सत्यानाशी प्रजाति के खर-पतवार चने के खेत में उग आते हैं। जो फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचाव के लिए बुवाई के तुरंत बाद और फसल उगने से पहले खर-पतरवारनाशी पेंडीलीन या फिर स्टोंप नाम की रासायनिक दवा का छिड़काव करना चाहिए। एक लीटर पानी में सात मिली लीटर के औसत से दवा मिलाकर खेत में छिड़काव करने से चने के खेत में उगने वाले खर-पतवार के प्रकोप से बचा जा सकता है।

साथ में करें सरसों, धनिया की खेती

चने के साथ सरसों और धनिया कीे खेती करने से दोहरा लाभ मिलता है। एक तो चने के खेत में इन फसलों की उपज अच्छी होती है, दूसरे सरसों और धनिया की वजह से चने की फसल में फली बेधक रोग नहीं लगता है। इससे चने की पैदावार भी अच्छी होती है।