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जेई वायरस के विरुद्ध ताकतवर काकटेल डोज बनाएगा RMRC, सात राज्यों के नौ केंद्रों पर तीन हजार बच्चों पर किया जाएगा इसका प्रयोग

भारत चीन व जापान के टीकों की काकटेल डोज देकर इसके प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। सात राज्यों के नौ केंद्रों पर होने वाले इस अध्ययन में चीन में बनी वैक्सीन और भारत की जेनवैक व जापान की जीव वैक्सीन शामिल होगी। बता दें कि आरएमआरसी गोरखपुर ने जेई वायरस के खिलाफ काकटेल डोज से ताकतवर डोज तैयार करने के लिए आइसीएमआर को अध्ययन का प्रस्ताव भेजा था।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 18 Nov 2023 10:34 AM (IST)
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जेई वायरस के विरुद्ध ताकतवर काकटेल डोज बनाएगा RMRC। -जागरण

गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। दो वर्ष पूर्व कोविड संक्रमण के दौरान सिद्धार्थनगर में हुई गलती ने नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। कोविड वैक्सीन की काकटेल डोज के सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद अब इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देश पर जेई (जापानी इंसेफ्लाइटिस) के विरुद्ध तीन टीकों की काकटेल डोज के प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा।

सात राज्यों के नौ केंद्रों पर होने वाले इस अध्ययन में चीन में बनी एसए 14-14-2 वैक्सीन, भारत की जेनवैक व जापान की जीव वैक्सीन शामिल होगी। इनके कुल नौ ग्रुप बनाकर नौ से 24 माह तक के 3,000 बच्चों पर अध्ययन किया जाएगा। गोरखपुर में क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी अध्ययन होगा।

बता दें कि सिद्धार्थनगर में कुछ लोगों को गलती से कोविड वैक्सीन की काकटेल डोज लग गई थी। जांच में उसके परिणाम सकारात्मक मिले थे। आरएमआरसी, गोरखपुर ने जेई वायरस के खिलाफ काकटेल डोज से ताकतवर डोज तैयार करने के लिए आइसीएमआर को अध्ययन का प्रस्ताव भेजा था। आइसीएमआर ने न सिर्फ अनुमति दे दी, बल्कि इसे केवल गोरखपुर में न कराकर देश के सात राज्यों में कराने को कहा है।

चीन का टीका अब देश में नहीं मंगाया जा रहा है, इसलिए आरएमआरसी की मांग पर आइसीएमआर ने इसे केवल अध्ययन के लिए चीन से मंगाने का निर्णय लिया है। इस टीके की तीन हजार डोज मंगाई जाएगी। भारत व जापान के टीके यहां उपलब्ध हैं।

अध्ययन में शामिल बच्चों की सुरक्षा का रखा जाएगा ध्यान

जेई का पहला टीका नौ से 12 माह और दूसरा टीका 16 से 24 माह पर लगाया जाता है। बच्चों के नौ ग्रुप बनाए जाएंगे। तीनों वैक्सीन के लिए तीन ऐसे ग्रुप बनाए जाएंगे, जिसमें एक ही वैक्सीन की दोनों डोज दी जाएगी। अन्य ग्रुपों के बच्चों को अलग-अलग वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज दी जाएगी। उन्हें तीन घंटे विशेषज्ञों की निगरानी में रखा जाएगा। एक साल तक उनका फालोअप किया जाएगा। इसके अलावा अभिभावकों को यह सुविधा दी जाएगी कि वे जब चाहें, विशेषज्ञों से बात कर सकें।

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इन केंद्रों पर होगा अध्ययन

  • क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
  • नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एपेडिमियोलाजी चेन्नई, तमिलनाडु
  • क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र, डिब्रूगढ़, आसोम
  • नेशनल इंस्टीट्यूट आफ कालरा एंड एंटरिक डिजीजेज, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
  • नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी पुणे, महाराष्ट्र
  • क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र भुवनेश्वर, ओडिशा
  • महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज वर्धा, महाराष्ट्र
  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना, बिहार

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