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Gorakhpur News: फर्जी रायल्टी पर बिना काम के हुआ करोड़ों का भुगतान, जांच में खुला राज तो मचा हड़कंप, तीन गिरफ्तार

गोरखपुर जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां अरविंद बिजली सिंचाई पीडब्लूडी एनएचआइ जैसे बड़े विभागों में ठीकेदारी करता है। अपने साथी आमिर और अमित यादव के साथ मिलकर बिना काम कराए ही भुगतान करा लेता है। ट्रक चालक और क्रेशर संचालकों की मदद से वह रायल्टी के असली पंजीकरण नंबर को जुटाकर कंप्यूटर के जरिए कूटरचना करके सरकारी विभागों से भुगतान कराता था।

By Satish pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 15 Jun 2024 08:30 AM (IST)
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बाएं से जालसाज अमित यादव, अरविंद सिंह और मो आमिर। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फर्जी रायल्टी पर गोरखपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में बिना काम के ही करोड़ों का भुगतान हो गया। एसटीएफ व एम्स थाना पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग के संविदा कर्मचारी, एक ठीकेदार समेत तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया।

पूछताछ व जांच में पता चला कि संविदा कर्मचारी फर्जी रायल्टी का पेपर तैयार करता था और ठीकेदार व उसके सहयोगी इसे बेच देते थे। यह गिरोह बिना काम कराए ही मोरंग, बालू और गिट्टी सप्लाई के कामों का भुगतान कर सरकार को करोड़ों का चपत लगाया है।

जांच के दायरे में लोक निमार्ण विभाग, नगर निगम, एनएचआइ, जिला पंचायत, मंडी समिति, सिडको, सिंचाई विभाग व विकास प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारी भी हैं।

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एसटीएफ को सूचना मिल रही थी कि करीमनगर में रहने वाला ठीकेदार अरविंद सिंह उर्फ पिंटू अपने साथी सिंघड़िया में रहने वाले साथी अमित कुमार और लोक निर्माण विभाग के संविदा कर्मचारी मोहम्मद आमिर के साथ मिलकर फर्जी रायल्टी के जरिए भुगतान कराकर राजस्व का भारी नुकसान कर रहे हैं।

छानबीन करने पर पता चला कि अरविंद बिजली, सिंचाई, पीडब्लूडी, एनएचआइ जैसे बड़े विभागों में ठीकेदारी करता है। अपने साथी आमिर और अमित यादव के साथ मिलकर बिना काम कराए ही भुगतान करा लेता है। ट्रक चालक और क्रेशर संचालकों की मदद से वह रायल्टी के असली पंजीकरण नंबर को जुटाकर कंप्यूटर के जरिए कूटरचना करके सरकारी विभागों से भुगतान कराता था।

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अरविंद की गिट्टी व मोरंग की दुकान भी है।अगर कोई अपना घर या निजी काम के लिए गिट्टी, मोरंग मंगाता था तो अरविंद रायल्टी बनवाकर खुद रख लेता था और रायल्टी नंबर का इस्तेमाल कर फर्जी बिल तैयार करके भुगतान कराता था।

जिस विभाग से भुगतान कराना होता था वहां के कर्मचारियों कि मिलीभगत से अपना काम करा लेता था। मिलीभगत की वजह से ही कोई खोजबीन नहीं होती थी। आरोपितों के कब्जे से मिले लैपटा,मोबाइल फोन दस्तावेज की जांच में एसटीएफ को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं।

एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि फर्जी रायल्टी तैयार करके कार्यदायी संस्था से भुगतान कराने व राजस्व का नुकसान करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया है। एसटीएफ के निरीक्षक ने एम्स थाने में तीन लोगों पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपितों से पूछताछ चल रही है।