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Kanpur: इंजीनियरिंग की छात्राएं बना रही हैं अनूठी 'अंगूठी', दृष्टिहीनों को पढ़ाएगी किताब की हर लाइन

Kanpur News उत्तरप्रदेश के कानपुर की महाराणा प्रताप इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्राएं एक ऐसी अंगूठी तैयार कर रही हैं जो दृष्टिहीनों को किताब पढ़ने में मदद करेगी। अंगूठी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सेंसर होगा। अगले वर्ष यह डिवाइस तैयार होने की उम्मीद है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmal PareekUpdated: Fri, 23 Dec 2022 11:32 AM (IST)
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महाराणा प्रताप इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्राओं ने बनाई अनूठी अंगूठी

चंद्रप्रकाश गुप्ता, कानपुर: उत्तरप्रदेश के कानपुर से सुखद खबर सामने आ रही है। जिले की महाराणा प्रताप इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्राएं एक ऐसी अंगूठी तैयार कर रही हैं, जो दृष्टिहीनों को किताब पढ़ने में मदद करेगी। इससे आने वाले समय में दृष्टिहीन लोग भी किताब को ब्रेल लिपि का सहारा लिए बिना सहजता से पढ़ सकेंगे। अंगूठी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सेंसर होगा, जो किताब के शब्दों को पढ़कर उन्हें ब्लूटूथ के माध्यम से कान में मौजूद इयरफोन पर संदेश भेजकर उच्चारित कराएगा। छात्राओं ने प्रोग्रामिंग पर काम शुरू कर दिया है। अगले वर्ष यह डिवाइस तैयार होने की उम्मीद है।

दिव्यांग वर्ग को मिलेगा फायदा

एमबीए द्वितीय वर्ष की छात्राओं शुभांगी त्रिपाठी, अकदस नूर, स्नेहा तिवारी व स्नेहा सिंह ने कुछ समय पूर्व एचबीटीयू में आयोजित स्टार्टअप उत्सव में अपने प्रोजेक्ट को प्रदर्शित किया था। उन्होंने बताया कि दृष्टिहीन दिव्यांग वर्ग की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक ऐसी डिवाइस विकसित करना शुरू किया है, जो उन्हें पढ़ने में मदद कर सके।

इस अंगूठी को दृष्टि नाम दिया गया है

यह एक अंगूठी की तरह होगी, जिसे ‘दृस्टि’ नाम दिया है। इसकी मदद से दृष्टिहीनों को प्रतिदिन की क्रियाएं जैसे पढ़ना, सड़कों पर चलने में भी मदद मिलेगी। शुभांगी ने बताया कि डिवाइस को अंगुली में पहना जाएगा। इसके बाद जैसे-जैसे अंगुली को किताब पर चलाया जाएगा तो डिवाइस में लगा कैमरा और सेंसर शब्दों को पढ़कर संदेश कान में लगे ब्लूटूथ इयरफोन को भेजेगा।

हादसा होने पर अस्पताल को भी सूचना देगी डिवाइस

छात्रा अकदस नूर ने बताया कि अंगूठी में कैमरा, जीपीएस और सेंसर लगाया जाएगा। किसी दुर्घटना की स्थिति में संबंधित व्यक्ति पुलिस स्टेशन, अस्पताल और स्वजनों को भी सूचना दे सकेंगे। इससे परिवार वालों को उनके पास पहुंचने में मदद मिलेगी। इसके बारे में एमपीजीआइ के सहायक प्रोफेसर व मार्गदर्शक अविनाश पांडेय ने बताया कि दृष्टिहीनों के लिए किताब पढ़ने की कोई डिवाइस उपलब्ध नहीं है। इसका प्रोटो टाइप तैयार करने के लिए प्रोग्रामिंग पर काम किया जा रहा है। जल्द ही इस तकनीक को पेटेंट भी कराया जाएगा।