Muslim Personal Law Board की मुहिम, बदलेगा निकाह का तरीका और बंद होगी फिजूलखर्ची
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने आनलाइन आल इंडिया मशावरती इजलास का आयोजन किया जिसमें मसनून निकाह के लिए मुहिम को और तेज करने की बात कही गई। इसमें तरीका बदलकर सादगी से निकाह कराने और फिजूलखर्ची बंद करने पर जोर होगा।
कानपुर, जेएनएन। मुसलमानों के निकाह में बदलाव के लिए मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कदम बढ़ाए हैं और मुहिम शुरू की है। इसमें निकाह को आसान बनाने, गलत रस्मों को खत्म करने तथा दहेज जैसी बुराइयों से पीछा छुड़ाने की पैरवी की जा रही है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सलन ला बोर्ड ने मसनून निकाह मुहिम की शुरुआत के लिए आनलाइन आल इंडिया मशावरती इजलास आयोजित किया। इसमें देशभर से बोर्ड के सदस्यों के साथ ही उलेमा ने शिरकत की। कानपुर शहर के उलमा ने मसनून (आसान) निकाह करने तथा समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने के लिए मशवरे दिए गए।
इजलास में अफसोस जताया गया कि मुस्लिमों की शादियों में दहेज का लेन-देन बढ़ रहा है। शादियों में गैर जरूरी रस्में भी बढ़ती जा रही हैं। कहा गया कि मुस्लिम शरीयत के अनुसार निकाह करें। उलेमा ने कहा कि बोर्ड ने निकाह को आसान बनाने तथा समाज सुधार के लिए देश व्यापी मुहिम चला रखी है। इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाए ताकि मुस्लिम समाज में बदलाव नजर आए। दहेज की मांग के चलते बड़ी संख्या में मुस्लिम लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है। सभी को इसपर चिंतन करना चाहिए।
इजलास में कहा गया कि मुस्लिम पर्सलन ला बोर्ड ने मार्च के महीने में देश भर में आसान निकाह मुहिम की शुरुआत की थी। इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। काफी लोगों ने सादगी के साथ निकाह किए हैं, इसको और प्रभावी बनाने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि मसनून निकाह मुहिम को घर-घर पहुंचाया जाएगा। आनलाइन इजलास में देश भर से 700 से अधिक लोगों ने शिरकत की। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सय्यद राबे हसनी नदवी, सचिव मौलाना उमरीन महफूज रहमानी, मौलाना अरशद मदनी, मौलाना मोहम्मद वली रहमानी आदि मौजूद रहे।
इन बिंदुओं पर दिए गए सुझाव
-मस्जिदों की इमामों के नेतृत्व में मोहल्ला सुधार कमेटी गठित की जाए।
-निकाह को आसान बनाने लिए सामाजिक रूप से दबाव बनाया जाए।
-महिलाओं को जागरूक करने के लिए महिला समिति गठित की जाए।
-ऐसे निकाह में शामिल न हो जहां फिजूल खर्ची हो रही हो।
-आसान निकाह के लिए दूल्हे व उसके घर वालों को समझाया जाए।
-शादी में फिजूलखर्ची की बजाय धनराशि बच्चों की पढ़ाई पर खर्च की जाए।