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Sawan 2022 : नाग और नागिन नहीं काटने दे रहे थे पीपल का पेड़, सैकड़ों साल पुराना है जागेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

कानपुर के नवाबगंज में जागेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास तीन सौ साल से भी ज्यादा प्राचीन है। यहां अर्द्धगोलाकर शैली में मंदिर बना है और एक प्राचीन कुआं भी है। श्रावण मास में मंदिर में प्रतिदन भक्तों की भीड़ रहती है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 10:56 AM (IST)
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कानपुर में प्राचीन जागेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास।

कानपुर, जागरण संवाददाता। पवित्र श्रावण मास के दिनों में नवाबगंज स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर में शहर के साथ आस-पास जिलों के भक्त बड़ी संख्या में महादेव के दर्शन को पहुंचते हैं। भगवान का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। श्रावण मास के दूसरे सोमवार को मंदिर में होने वाले ऐतिहासिक दंगल में महिला व पुरुष एक साथ कुश्ती करते नजर आते हैं।

मंदिर का इतिहास : जागेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना है। मंदिर अर्द्धगोलाकर शैली में बना है। भक्तों के मुताबिक, प्राचीन मंदिर त्र्यंबकेश्वर धाम की तर्ज पर बना है। मंदिर निर्माण के समय मंदिर के पीछे लगे पीपल के विशाल पेड़ की जड़ काटी जा रही थी तो नाग और नागिन के जोड़े के दर्शन हुए थे, जो पेड़ को कटने नहीं दे रहे थे। इसके बाद पेड़ को सुरक्षित कर मंदिर का निर्माण अर्द्धगोलाकार शैली में किया गया। मंदिर में 300 वर्ष पुराना प्राचीन कुंआ है, जिसका आज भी उपयोग हो रहा है।

मंदिर की विशेषता : प्राचीन मंदिर में महादेव के दर्शन को आने वाले भक्तों को हर पहर में शिवलिंग का रंग बदला हुआ दिखता है। भक्त इसे महादेव का चमत्कार मानते हैं। शिवलिंग सुबह के समय स्लेटी रंग, दोपहर के समय भूरा रंग और रात में काले रंग का दिखता है। शिवलिंग के ऊपर प्राचीन काल में मल्लाह द्वारा खोदे जाने के कारण खुरपी का निशाना भी दिखता है।

-श्रावण मास में महादेव के दर्शन को दूर-दराज से भक्त आते हैं। मान्यता है कि भोले बाबा को गंगा जल अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भोले बाबा पर बेल पत्र अर्पित करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। -प्राण श्रीवास्तव, महामंत्री मंदिर कमेटी।

-भोले बाबा के दर्शन के लिए श्रावण मास सर्वोत्तम माना जाता है। महादेव दीन दयालु हैं, जो श्रावण मास में भक्तों पर विशेष कृपा लुटाते हैं। जागेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास के दौरान प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन को आते हैं। - गोपाल शुक्ला, मंदिर पुजारी।