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World Arthritis Day 2022: मरीज के खून से गठिया का इलाज, पीआरपी थेरेपी से घुटने-जोड़ों के दर्द में मिलेगा आराम

World Arthritis Day 2022 जीएसवीएम मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक विभाग में पीआरपी थेरेपी से गठिया के रोगियों का उपचार किया जा रहा है। असिस्टेंट प्रोफेसर अबतक दर्द से बेहाल 639 मरीजों को थेरेपी प्रदान कर चुके हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek AgnihotriUpdated: Wed, 12 Oct 2022 09:59 AM (IST)
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कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्रोफेसर दे रहे पीआरपी थेरेपी।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। World Arthritis Day 2022 : गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय (जीएसवीएम मेडिकल कालेज) के आर्थोपेडिक विभाग ने गठिया से पीड़ित मरीजों का इलाज खोज निकाला है। मरीजों के खून से तैयार प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) का इंजेक्शन लगाकर गठिया के मरीजों को राहत दी जा रही है।

Case-1 : रतनलाल नगर निवासी 43 वर्षीय आशुतोष घुटने में दर्द की वजह से चल नहीं पाते थे। बहुत इलाज कराने से भी आराम नहीं मिला। ऐसे में एलएलआर अस्पताल के आर्थोपेडिक विभाग में दिखाया तो डाक्टर ने आस्टियो आर्थराइटिस से राहत को प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) थेरेपी की सलाह दी। डा. फहीम ने घुटने में दो बार इंजेक्शन लगाए। अब वह आराम से चल-फिर रहे हैं।

Case-2 : श्याम नगर निवासी 23 वर्षीय अनुराग दुबे क्रिकेट खेलने के दौरान मैदान में गिर गए थे। कंधे में चोट लगने हाथ हिलाना-डुलाना मुश्किल हो गया। दर्द से बेहाल हो उठे। डाक्टरों ने स्पोर्ट्स इंजरी से राहत के लिए कंधे का आपरेशन कराने की सलाह दी। मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक सर्जन को दिखाया। उन्होंने पीआरपी थेरेपी कराई जो रामबाण साबित हुई। अब वह फिर से खेलने लगे हैं।

एलएलआर अस्पताल (हैलट) परिसर स्थित आर्थोपेडिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. फहीम अंसारी वर्ष 2018 में इसकी शुरुआत की थी। अब तक 639 घुटने की गठिया से लेकर कंधे, घुटने, टखने एवं कोहनी के दर्द से बेहाल मरीजों की जिंदगी की रफ्तार प्रदान कर चुके हैं। इन मरीजों को चलने में दिक्कत से लेकर दैनिक कार्य करने में भी समस्या होती थी। इन मरीजों को पीआरपी के दो इंजेक्शन 28 दिन के अंतर में लगाए, जिसके उत्साहजनक परिणाम मिले हैं।

घुटने व जोड़ में दर्द की यह है वजह

घुटने की कार्टिलेज (साफ्ट टिश्यू यानी जोड़ के अंदर की परत) चलने फिरने या चोट लगने से घिस या क्षतिग्रस्त हो जाती है। इस वजह से जोड़ की दोनों हड्डियां आपस में रगड़ने लगती हैं, जिससे सूजन, घुटने में दर्द और घुटने जाम होने लगते हैं। ऐसे में पीआरपी थेरेपी का इंजेक्शन जोड़ के बीच में लगाने से घुटने की सतह पर फिर से कार्टिलेज यानी चिकनाई आने लगती है। ऐसा करने से कार्टिलेज री-जेनरेट होने लगता है।

28 दिन में दो बार लगाया जाता इंजेक्शन

गठिया, हड्डी के विभिन्न जोड़ों, कंधे व घुटने में चोट लगने परेशान मरीजों को राहत प्रदान करने के लिए उनका ही खून लेकर पीआरपी तैयार कराया जाता है। उसे पांच से 10 एमएल सीरिंज में लेकर इंजेक्शन के जरिये घुटने या जोड़ों के अंदर लगाया जाता है। इसे 28 दिन के अंतराल में दो बार लगाया जाता है। गंभीर समस्या से पीड़ितों को तीन बार भी इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है। इसका कारगर असर देखने को मिला है। घुटना प्रत्यारोपण की सलाह वाले मरीज भी आराम से चलने लगे हैं।

-घुटने की गठिया, हड्डी के विभिन्न जोड़ों, कंधे व घुटने में चोट के मरीजों के लिए पीआरपी थेरेपी फायदेमंद साबित हो रही है। अब तक 639 मरीजों का खून लेकर उससे प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा तैयार कराया। उसे इंजेक्शन से घुटने एवं जोड़ों में लगाया, जिससे कार्टिलेज एवं साफ्ट टिश्यू फिर से ठीक हो जाते हैं। इसी तरह हाथ के जोड़ एवं टखने का भी इलाज होता है। यह तकनीक गठिया के इलाज में अहम साबित हो रही है, जिससे प्रत्यारोपण की नौबत भी नहीं आती है। -डा. फहीम अंसारी, असिस्टेंट प्रोफेसर आर्थोपेडिक विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।