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मेरठ के हाथ से निकल जाएंगी उत्‍तराखंड की छह छावन‍ियां, डीईओ सर्किल का आकार छोटा करने की प्रक्रिया शुरू

मेरठ सहित देश की 62 छावनियों के नागरिक क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की कवायद चल रही है। अब मेरठ डीईओ सर्किल का आकार भी छोटा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मेरठ सर्किल से चकराता क्लेमेंटाउन देहरादून लैंडोर लैंड्सडाउन रुड़की कैंट होगा बाहर।

By Taruna TayalEdited By: Updated: Wed, 01 Jun 2022 01:31 PM (IST)
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मेरठ डीईओ सर्किल से अलग होंगे उत्तराखंड के कैंट।

मेरठ, विवेक राव। मेरठ सहित देश की 62 छावनियों के नागरिक क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की कवायद चल रही है। अब मेरठ डीईओ सर्किल (रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय) का आकार भी छोटा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मेरठ सर्किल से उत्तराखंड के छह कैंट अलग किए जाएंगे। मेरठ सर्किल में केवल मेरठ कैंट, और कुछ सैनिक स्टेशन के क्षेत्र शेष बचेंगे। रक्षामंत्रालय की ओर से मेरठ, बरेली सर्किल को संशोधित करने के साथ देहरादून सर्किल को विस्तार दिया जा रहा है। मेरठ डीईओ सर्किल का क्षेत्र वर्तमान में उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक फैला हुआ है। जिसमें उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, पौढ़ीगढ़वाल, रुद्रप्रयाग, टेहरीगढ़वाल, उत्तरकाशी का क्षेत्र शामिल है।

मेरठ सर्किल में ही उत्तराखंड के चकराता, क्लेमेंटाउन, देहरादून, लैंडोर, लैंड्सडाउन, रुड़की कैंट बोर्ड भी हैं। मेरठ सर्किल को रिवाइज करने के बाद मेरठ डीईओ के पास केवल मेरठ कैंट बचेगा। उत्तराखंड से जुड़े जिले भी यहां से निकल जाएंगे। मेरठ सर्किल के क्षेत्र में मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और हापुड़ जिले का क्षेत्र रहेगा। मिलिट्री स्टेशन में बाबूगढ़, दबथवा, सहारनपुर एयर फोर्स स्टेशन, हिंडन, सहारनपुर, चांदीनगर (बागपत) शामिल रहेंगे। मेरठ सर्किल से उत्तराखंड के जो कैंट निकल रहे हैं। वह सभी डीईओ सर्किल देहरादून में जाएंगे। देहरादून डीईओ के अंतर्गत चकराता, क्लेमेंटाउन, देहरादून, लैंडोर, लैंड्सडाउन, रुड़की, नैनीताल, अलमोड़ा, रानीखेत कैंट का क्षेत्र रहेगा।

सबसे छोटा सर्किल मेरठ सर्किल का वर्तमान का क्षेत्रफल सबसे बड़ा है। उत्तराखंड के सभी कैंट के इस सर्किल से निकलने के बाद मेरठ सर्किल छोटा हो जाएगा। इसमें केवल मेरठ कैंट का क्षेत्र ही बचेगा। माना जा रहा है कि अभी तक मेरठ सर्किल का क्षेत्र बड़ा होने से रक्षा संपदा भूमि और सैन्य भूमि का प्रबंधन ठीक से नहीं हो पा रहा था। मेरठ सर्किल से उत्तराखंड तक प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी। इस बदलाव से रक्षा भूमि की सुरक्षा और प्रबंधन ठीक से हो सकेगा।