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Hastinapur Wildlife Sanctuary: परिसीमन के बाद आधा रह जाएगा अभयारण्य का क्षेत्र, हो सकेगा प्रभावी नियंत्रण

हस्तिनापुर अभयारण्य के पुनर्गठन की तैयारी शासन स्तर पर चल रही है। अंतिम नोटिफिकेशन के बाद वन सैंक्चुरी का क्षेत्र लगभग आधा रह जाएगा। इससे प्रशासनिक काम काज में तो सुविधा होगी साथ ही प्रभावी नियंत्रण भी किया जा सकेगा।

By Jagran NewsEdited By: Nirmal PareekUpdated: Tue, 27 Dec 2022 10:58 AM (IST)
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परिसीमन के बाद आधा रह जाएगा हस्तिनापुर वन अभयारण्य का क्षेत्र

जागरण संवाददाता, मेरठ: हस्तिनापुर अभयारण्य के पुनर्गठन की तैयारी शासन स्तर पर चल रही है। अंतिम नोटिफिकेशन के बाद वन सैंक्चुरी का क्षेत्र लगभग आधा रह जाएगा। इससे प्रशासनिक काम काज में तो सुविधा होगी साथ ही प्रभावी नियंत्रण भी किया जा सकेगा। वर्ष 1986 में जब नोटीफिकेशन जारी हुआ था तब अलग-अलग जनपदों में हस्तिनापुर वन सेंक्चुयरी का क्षेत्रफल 2073 वर्ग किलोमीटर था। इतने विशाल भू-भाग में कई बड़े आबादी वाले गांवों को समाहित कर लिया गया था। जिससे इसके प्रबंधन में परेशानी आ रही है।

वर्ष 2019 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने किया सर्वे

बता दें इसके बाद इस अभयारण्य का सर्वे वर्ष 2019 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से वन विभाग ने कराया। सर्वे में हिरन प्रजाति के जीवों के लिए प्रसिद्ध सांभर, बारा सिंघा और ब्लैक डियर की लोकेशन जांची गई। सामने आया कि कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर इस वन्य जीव की लोकेशन ही नहीं मिली। जहां-जहां वन्य जीवों की संख्या मिली है वही क्षेत्र शामिल किए गए हैं।

एक किलोमीटर की परिधि में बनेगा इको सेसंटिव जोन

मेरठ जोन के वन संरक्षक गंगा प्रसाद ने बताया कि शासन को जो प्रस्ताव भेजा गया है उसमें सैंक्चुरी क्षेत्र 1095 वर्ग किलोमीटर है। हालांकि शासन स्तर से इसमें फेरबदल भी किया जा सकता है। बताया कि इसके चारों ओर एक किलोमीटर की परिधि इको सेसंटिव जोन का भी होगा। जिसमें वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कई तरह के नियम लागू होंगे। भूमि की खरीद और बिक्री भी नियंत्रित होगी।

अमरोहा में होगा बड़ा फेरबादल

आपको बता दें 1986 में जब हस्तिनापुर अभयारण्य का प्रारूप तैयार हुआ था उस समय अमरोहा मुरादाबाद और हापुड़ गाजियाबाद का हिस्सा था। अमरोहा जनपद में पड़ने वाले गजरौला क्षेत्र का बड़ा भाग सैंक्चुरी क्षेत्र में पड़ता है। इसमें औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल है। एक अनुमान के अनुसार नए परिसीमन में 114 गांव शामिल हैं। मेरठ क्षेत्र के 15 गांव भी परिसीमन से बाहर होंगे। वहीं नोटिफिकेशन होने के बाद वन्य जीवों का संरक्षण भी संभव होगा। यहां पर डाल्फिन का ब्रीडिंग सेंटर है। जल्द तेंदुए का रेस्क्यु सेंटर का निर्माण शुरु होने वाला है। इसलिए इस अभयारण्य को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने में आसानी होगी।