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Meerut: भारत में विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता, G20 Summit से सिद्ध हुआ; डॉ. हरिशंकर राय ने कहा

जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी है। वसुधैव कुटुंबकम् के मंत्र से हमने एकता और मानवता की मिसाल प्रस्तुत की है। इसी के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि इस सम्मेलन से भारत को क्या मिला और भविष्य में इसका क्या असर होगा? मेरठ कॉलेज के विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ. हरिशंकर राय ने ‘जागरण विमर्श’ में अपने विचार व्यक्त किए।

By Praveen VashisthaEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Tue, 12 Sep 2023 01:41 PM (IST)
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दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी है। वसुधैव कुटुंबकम् के मंत्र से हमने एकता और मानवता की मिसाल प्रस्तुत की है। इसी के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि इस सम्मेलन से भारत को क्या मिला और भविष्य में इसका क्या असर होगा? इस सवाल पर सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित ‘जागरण विमर्श’ में मेरठ कालेज के विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ. हरिशंकर राय ने विचार व्यक्त किए।

डॉ. राय ने कहा कि इस सम्मेलन की सफलता से हमारे देश की वैश्विक मंच पर विकसित देशों की श्रेणी में आने की वर्षों पुरानी छटपटाहट दूर हुई है। इससे सिद्ध हो गया है कि भारत में विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता है। विपरीत विचार रखने वाले देशों को भी हम एक मंच पर ला सकते हैं। हमारे नेतृत्व में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की स्थाई सदस्यता मिलना इस संगठन को समावेशी बनाने की ओर बड़ा कदम है। यह भारत की वसुधैव कुटुंबकम् की सोच का बड़ा उदाहरण है।

अफ्रीका में 55 देश हैं। इनमें अधिकांश गरीब हैं और कई गृहयुद्ध से भी त्रस्त हैं। अफ्रीकन यूनियन के सदस्य बनने से हम उन देशों की आवाज बने हैं जिनकी वैश्विक स्तर पर कोई नहीं सुनता। यह वसुधैव कुटुंबकम् के मंत्र को सार्थक करने वाला कदम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व, ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने और आतिथ्य सत्कार की मुक्त कंठ से सराहना हो रही है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सम्मेलन में न आने पर शुरू में लग रहा था कि यह अच्छा नहीं होगा, लेकिन अब यह स्पष्ट हुआ है कि चीन के शीर्ष नेता हमारी आवाज वैश्विक स्तर पर सुनी जाने और आम सहमति बनने बनाने पर मिलने वाली प्रशंसा सुनना नहीं चाहते थे। भारत रूस, अमेरिका और जी-20 के सदस्य यूरोपीय देशों को भी समझाने में सफल रहा। इसी कारण दिल्ली घोषणापत्र जारी करने में सफलता मिली। इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की भूमिका भी प्रशंसनीय रही हैं।

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आर्थिक गलियारे की घोषणा बहुत बड़ा कदम

डॉ. राय के अनुसार शिखर सम्मेलन में भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा बहुत बड़ा कदम है। यह चीन के वन बेल्ट वन रोड परियोजना का जवाब है। चीन की नीति देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की होती है, जबकि यह गलियारा सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेगा। इससे भारत, अरब देशों और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी और यह सबंधित देशों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा।

भारत की आतंकवाद को लेकर हमेशा चिंता रही है। टेरर फंडिग को लेकर कदम उठाए गए हैं, लेकिन सम्मेलन में इस पर सहमति बनना अच्छा कदम है। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर कार्बन उत्सर्जन को लेकर भारत जैसे देशों को जिम्मेदार ठहराने के प्रयास होते हैं। सम्मेलन में हमने यह स्पष्ट किया गया कि यह बड़ा मुद्दा है, लेकिन विश्व में गरीबी उन्मूलन बहुत जरूरी है। कार्बन उत्सर्जन रोकने को नवाचार के माध्यम से क्लीन एनर्जी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। खाद्य सुरक्षा और पेट्रोलियम सब्सिडी के मुद्दे पर भी हमारी बात को गंभीरता से लिया गया।

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कई शहरों में आयोजन से मिलेगा लाभ

डॉ. हरिशंकर राय के अनुसार पिछले कई माह में देश के विभिन्न शहरों में जी-20 से जुड़े आयोजन हुए। इससे पर्यटन उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह निर्यात बढ़ाने वाला कदम भी है।

सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर और मजबूत हुई दावेदारी

डॉ. राय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की वर्षों से मांग रही है। जी-20 शिखर सम्मेलन की कामयाबी से संयुक्त यह दावेदारी और मजबूत हुई है।