UP News: जातीय गणित साधने की प्रयोगशाला बन रहा मेरठ, 15 दिनों में सभी दलों ने छेड़ा जातीय समीकरणों का तार
मेरठ में जाटों की दो बड़ी बैठकों में आरक्षण के मुद्दे को धार मिल रही है जाट वर्ग के महापुरुषों को भारत रत्न देने और संसद में प्रतिमा लगाने की मांग दूर तक जाएगी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने पश्चिम उप्र की नब्ज टटोलते हुए अति पिछड़ों के आरक्षण की मांग उठा दी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दलित बस्तियों में चाय पीकर दूसरा समीकरण दुरुस्त रखने का प्रयास किया।
संजीव जैन, मेरठ। किसान आंदोलन और ध्रुवीकरण की नींव पर खड़ी पश्चिमी उप्र की सियासत ने नई करवट ली है। चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने जातीय समीकरणों को साधने और उन्हें आरक्षण देने का तार नए सिरे से छेड़ा है।
दोनों जाट सम्मेलनों में एक सुर...आरक्षण
मेरठ में 24 सितंबर को अखिल भारतीय जाट महासभा की प्रांतीय कार्यकारिणी केंद्र एवं राज्य को घेरते हुए आरक्षण की मांग की, जिसमें भारतीय किसान यूनियन एवं राष्ट्रीय लोकदल के नेता शामिल हुए।
इसकी काट में एक अक्टूबर को जाट संसद बैठी, जिसे भाजपा का समर्थक संगठन कहा जा रहा था। लेकिन यहां मंच से जाट आरक्षण, चौ. चरण सिंह, सर छोटू राम, राजा महेंद्र प्रताप सिंह को भारत रत्न देने, उनकी मूर्तियां एवं चित्र नई संसद में लगाने, पश्चिम उप्र को अलग राज्य और मेरठ को राजधानी बनाने एवं बेगमपुल मेट्रो स्टेशन का नाम चौ. चरण सिंह के नाम पर रखने की मांग उठा दी गई, जिसे पूरा करना भाजपा के लिए भी आसान नहीं होगा।
हस्तिनापुर में सियासी पारा चढ़ा
उधर, पिछले दिनों कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सहारनपुर, मेरठ और मुजफ्फरनगर में सभा कर अति पिछड़ों के अलग आरक्षण की बात उठाई। वहीं, राजा मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण को लेकर हस्तिनापुर में सियासी पारा चढ़ा था जिसके बड़े राजनीतिक मायने हैं। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल ओबीसी एवं दलित वोटों को रिझाने के लिए नई रणनीति बना रहे हैं।
दिल्ली तक गरमाएगा पारा
जाटों के आरक्षण की मांग फिर गरमाएगी। संगठन 20 नवंबर को नई दिल्ली में बड़ी सभा करने की तैयारी में है। जाट वोटर भाजपा और रालोद के बीच बंटा हुआ है, जबकि इस वर्ग की राजनीतिक ताकत पश्चिम में सबसे ज्यादा है। ऐसे में भाजपा की अगुआई वाली एनडीए और विरोधी आइएनडीआइए के बीच नई होड़ शुरू होगी।
भाजपा ने हाल में 19 जिलाध्यक्षों की सूची जारी की, जिसमें सैनी, प्रजापति, कश्यप एवं गुर्जरों को साधने की कोशिश हुई। आइएनडीआइए के घटक पश्चिम उप्र में ध्रुवीकरण की हवा नहीं चलने देना चाहते, ऐसे में जातीय मुद्दों को गरमाकर रखेंगे। बसपा प्रमुख मायावती ने नए सिरे से लखनऊ में बैठककर पश्चिम उप्र के लिए बड़ी रणनीति बनाई है।
जयन्त और चंद्रशेखर बन रहे अहम फैक्टर
रालोद नेता जयन्त चौधरी और आसपा नेता चंद्रशेखर की जुगलबंदी भी ओबीसी और दलित वोटों पर ज्यादा फोकस रहेगी। दिसंबर 2022 में खतौली विस उपचुनाव जीतकर पार्टी का मनोबल बढ़ा हुआ है। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने दलितों के घर भोजन कर वोटरों की धड़कन को परखा।
अगले दिन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के बहाने ओबीसी वोटरों को साधने का प्रयास किया गया। अंतरराष्ट्रीय जाट संसद भले ही जाट संसद को अराजनीतिक बता रहे हों, लेकिन यहां से उठने वाले मुद्दे पश्चिम की राजनीति को चुनावों तक गरम रखेंगे।