Muzaffarnagar School Case: थप्पड़ कांड में बड़ा अपडेट, शिक्षिका तृप्ता त्यागी के खिलाफ पुलिस ने जोड़ी ये धारा
Muzaffarnagar School Case विगत 25 अगस्त को सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद कांग्रेस सपा रालोद एआइएमआइएम और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने भाजपा को घेरते हुए खूब प्रहार किए थे। इससे राजनीतिक माहौल गरमा गया था। वहीं पीड़ित छात्र के पिता की तहरीर पर पुलिस ने शिक्षिका तृत्पा त्यागी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। स्कूल में एक छात्र से दूसरे को थप्पड़ लगवाए गए थे।
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। यूपी के मुजफ्फनगर के मंसूरपुर के खुब्बापुर गांव के नेहा पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या तृप्ता त्यागी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पुलिस ने एनसीआर को मुकदमे में तरमीम कर धारा बढ़ा दी है।
पहले शिक्षका के विरुद्ध धारा-323 और 504 में एनसीआर काटी गई थी, लेकिन अब पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 भी लगा दी है। इसके बाद मामले की गहनता से छानबीन शुरू की गई है। वीडियो के साथ इसे प्रसारित करने के आरोपित की छानबीन भी चल रही है।
मुस्लिम छात्र को पिटवाने का वीडियो हुआ था वायरल
सीओ खतौली डा. रविशंकर ने बताया, कि खुब्बापुर में मुस्लिम छात्र को पिटवाने की प्रसारित वीडियो के बाद जांच-पड़ताल की गई थी। जिसमें छात्र के पिता की तहरीर पर शिक्षिका एवं नेहा पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या तृप्ता त्यागी के विरुद्ध एनसीआर दर्ज की थी।
सुर्खियों में रहा था मामला
मामले ने तूल पकड़ा तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बन गया था। कांग्रेस के शीर्षक नेताओं, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने भी ट्वीट कर प्रकरण पर प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद खुब्बापुर में नेताओं का जमावड़ा लग गया। मंसूरपुर पुलिस मामले की छानबीन में लगी है।
पुलिस ने शिक्षिका के विरुद्ध दर्ज एनसीआर को मुकदमे में परिवर्तित किया है। सीओ ने बताया, कि मुकदमे में किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 को जोड़ा गया है। मुकदमा दर्ज होने के बाद शिक्षिका की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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सात वर्ष से कम सजा का प्राविधान
शिक्षिका के विरुद्ध दर्ज किए गए मुकदमे में सात वर्ष से कम सजा का प्राविधान है। इसके चलते पुलिस शिक्षिका को त्वरित गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
इस धारा के तहत जो कोई बालक का वास्तविक भारसाधन या अनावश्यक मानसिक, शारीरिक कष्ट के साथ उसका उत्पीड़न करेगा। जानबूझकर उसकी उपेक्षा करेगा या उस पर हमला करेगा। इस स्थिति में आरोपित पर कार्रवाई होगी। इसमें सजा की अवधि तीन वर्ष तक की हो सकती है। वहीं, लाख रुपये तक जुर्माना या सजा-जुर्माना दोनों का दंड मिल सकता है।