Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी प्रकरण में अखिलेश-ओवैसी के खिलाफ याचिका निरस्त, हेट स्पीच का लगा था आरोप

ज्ञानवापी प्रकरण में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य के खिलाफ दर्ज मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका को वाराणसी की अदालत ने खारिज कर दिया है। इन नेताओं पर हिंदू समाज के प्रति घृणा फैलाने का आरोप था। सुनवाई के दौरान ओवैसी के वकील ने बयान को हेट स्पीच मानने से इन्कार किया था।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 18 Sep 2024 10:03 AM (IST)
Hero Image
सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी। जागरण (फाइल फोटो)

 विधि संवाददाता, जागरण, वाराणसी। ज्ञानवापी प्रकरण में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर लंबित पुनरीक्षण याचिका अपर जिला जज (नवम) विनोद कुमार की अदालत ने मंगलवार को निरस्त कर दिया।

पुनरीक्षण याचिकाकर्ता हरिशंकर पांडेय ने अखिलेश और ओवैसी के बयान को हेट स्पीच की श्रेणी में मानते हुए एसीजेएम पंचम (एमपी-एमएलए) उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। आरोप लगाया था कि इन नेताओं ने अमर्यादित एवं गैर कानूनी बयान देकर हिंदू समाज के प्रति घृणा फैलाने का आपराधिक कृत्य किया है।

अदालत ने 14 फरवरी 2023 को प्रार्थना पत्र सुनवाई योग्य (पोषणीय) न मानते हुए निरस्त कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ हरिशंकर पांडेय ने पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी। हरिशंकर पांडेय ने मामले में अखिलेश, ओवैसी के साथ मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, अंजुमन इंऐजामिया के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, संयुक्त सचिव एसएम यासीन सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान ओवैसी के वकील ने बयान को हेट स्पीच मानने से इन्कार किया था।

इसे भी पढ़ें-गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान युवक पर चाकू से हमला, मचा हड़कंप; तीन गिरफ्तार

अदालत ने ज्ञानवापी में अमीन सर्वे की अपील निरस्त की

भगवान अविमुक्तेश्वर विराजमान की ओर से हिंदू सेना के अजीत सिंह व विष्णु गुप्ता की ओर से ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और वहां पूजा-पाठ की अनुमति देने की मांग को लेकर दाखिल मुकदमे में कोर्ट ने अमीन सर्वे की अपील निरस्त कर दी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) युगुल शंभू ने अपील को सुनवाई योग्य यानी पोषणीय नहीं माना है।

अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। अदालत ने कहा कि वादी की ओर से आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी परिसर) की अमीन सर्वे की रिपोर्ट की आवश्यकता का ठोस कारण प्रार्थनापत्र में नहीं दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि वादी साक्ष्य एकत्रित करना चाहता है, जो कानूनी रूप से पोषणीय नहीं है।

इसे भी पढ़ें- लखनऊ-आगरा सहित कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी

ज्ञानवापी को लेकर राखी सिंह सहित पांच महिलाओं की ओर से दाखिल मुकदमे में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही हो चुकी है। वादी चाहे तो उसकी सत्यापित प्रतिलिपि लेकर अपने वाद में प्रस्तुत कर सकता है।

अमीन सर्वे की अपील में कहा गया था कि फोटोग्राफी के साथ ही अमीन मौके का नक्शा तैयार रिपोर्ट बनाए। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति जताते हुए कहा गया था कि वादी ने प्रार्थना पत्र गलत एवं झूठे तथ्यों के साथ साक्ष्य इकट्ठा करने के उद्देश्य से दाखिल किया है।