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'उड़ता बनारस' न बना दे हुक्‍का बार का बढ़ता चलन, नशे की जद में आ रहे काशी के युवा

वाराणसी जैसे शहर में अमूमन बड़े होटलों के हुक्‍का बार में यह छह से सात सौ रुपये तक का हुक्का उपलब्ध है तो छोटे रेस्टोरेंट में इनका दाम आधा हो जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Mon, 01 Oct 2018 07:33 PM (IST)
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'उड़ता बनारस' न बना दे हुक्‍का बार का बढ़ता चलन, नशे की जद में आ रहे काशी के युवा

वाराणसी [विजय उपाध्‍याय] : तेरा प्‍यार प्‍यार हुक्‍का बार...जैसे गीत के बोल अब युवाओं के सिर से होते हुए जिंदगी में शुमार होते जा रहे हैं। हुक्का बार वैसे तो महानगरों का शौक रहा है, मगर कुछ वर्षों में वाराणसी जैसे शहरों में भी इसने अपनी जड़ें गहरे तक जमा ली हैं। चिंता इस बात की है कि इसकी जद में युवा ही आ रहे हैं। बड़े होटलों में जहां यह शौक महंगा है वहीं छोटे रेस्टोरेंट में यह चलन सस्ता है। इसके शौकीन युवा चंगुल में फंसने के बाद इसे छोड़ नहीं पाते। जिसका फायदा नशे के कारोबारी उठा रहे हैं। वाराणसी जैसे शहर में अमूमन बड़े होटलों में छह से सात सौ रुपये तक का हुक्का उपलब्ध है तो छोटे रेस्टोरेंट में इनका दाम आधा हो जाता है। अमूमन इसके ग्राहक नए उम्र के युवा हैं जो निकोटिन का नशा चखने को एक बार हुक्का बार पहुंचते हैं फिर इसके चंगुल में कुछ इस कदर फंसते हैं कि वापस निकलना ही मुश्किल हो जाता है। 

फ्लेवर के चस्के में फंसे युवा

गांव-गिरांव के हुक्के के मुकाबले हुक्का बार में फ्लेवर्ड हुक्का का चलन है। मैंगो, बनाना, एप्पल, चाकलेट, ब्रेन फ्रीजर, पान मसाला फ्लेवर का युवाओं में अधिक क्रेज है। कारोबार से जुड़़े लोग बताते हैं कि युवाओं में सबसे अधिक ब्रेन फ्रीजर और पान मसाला फ्लेवर की मांग रहती है। लिहाजा, कारोबारी इन्हीं का स्टाक अधिक रखते हैं। हालांकि 18 साल से अधिक के युवाओं को ही यह उपलब्ध कराया जाता है, मगर कम उम्र के युवा हुक्का बार तक आसानी से पहुंच बना रहे हैं। मैजिक कोल के धुंए में हुक्के का जायका लेने वाले युवाओं का दिनों दिन बढ़ता रुझान कारोबारियों के लिए कमाई का मौका बन रहा है। लिहाजा कारोबारी भी अब रेस्टोरेंट की आड़ में युवाओं को ये उपलब्ध कराने लगे हैं। 

 

पुलिस चौकी से चंद कदम पर 'नशे का कारोबार'

नगवा पुलिस चौकी से चंद दूरी पर स्थित सामनेघाट मार्ग पर एक हास्टल के भूतल पर पुलिस की मिलीभगत से चलने वाले हुक्काबार में रविवार को दोपहर में जमकर हंगामा मचा। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रामनगर के कुछ लड़के हुक्का बार में पहुंचे और नशा करने के बाद डांस देख रहे थे। उसी दौरान सुंदरपुर क्षेत्र के कुछ लड़के पहुंचे और अंदर बैठकर नशा लगे। इसी बीच किसी बात को लेकर दोनों गुट आपस मे भिड़ गए। विवाद इस कदर बढ़ा कि तोडफ़ोड़ होने लगा। अंदर से बाहर सड़क पर निकलकर दोनों गुट एक दूसरे की पिटाई के बाद पथराव करने लगे। घटना में सैफ नाजीम, अली मुज्जम, अली खान सहित लगभग छह युवक घायल हो गए। पुलिस के पहुंचने के बाद मामला शांत हुआ।

मामला दबा है दुश्‍वारी नहीं

पुलिस के जवानों ने हुक्का बार के केयरटेकर रुद्र से मामले की जानकारी ली। इसके बाद भोजूबीर निवासी संचालक संदीप गौर को भी इसकी सूचना दी गई। हालांकि अराजकता पुलिस के पहुंचने के बाद भी बंद नहीं हुई। पुलिसकर्मियों के सामने भी दोनों पक्ष एक दूसरे को देख लेने की धमकी तक देते रहे। मामले को दबाने के लिए पुलिसकर्मियों ने हुक्काबार का शटर गिरवा कर ताला बंद करवा दिया। यही नहीं पुलिस ने मीडियाकर्मियों को भी उलझाए रखा और कारखास को इशारा कर हुक्काबार के अंदर हुए तोडफ़ोड़ को व्यवस्थित कराने के बाद सबको अंदर जाने की इजाजत दी। उधर, हुक्काबार के अगल बगल के लोगों का आरोप है कि पुलिस की शह पर यहां अराजकता चरम पर है। हाल फिलहाल में मारपीट की यह चौथी वारदात है। पुलिस को चूंकि महीने में मोटी रकम दी जाती है इसलिए नशे के कारोबार पर रोक नहीं लगाया जाता। कम उम्र के लड़के लड़कियों को तरह-तरह के नशे परोसे जाते हैं। इसके बाद अश्लीलता भी चरम पर दिखती है। उधर, संदीप का कहना है कि हुक्का बार के संचालन की इजाजत खाद्य विभाग के साथ ही पुलिस से लिया गया है। इंस्पेक्टर लंका भारत भूषण तिवारी ने बताया कि मामले की जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सिगरा व भेलूपुर में भी अराजकता

महज लंका ही नहीं सिगरा व भेलूपुर क्षेत्र में भी दर्जनों हुक्का बार संचालित हो रहे हैं। यहां आए दिन बवाल व हंगामा होता रहता है मगर पुलिस की शह पर विवाद को थाम लिया जाता है। सबसे भयावह स्थिति सिगरा थाना क्षेत्र में देखने को मिलती है जहां करीब डेढ़ दर्जन हुक्का बार धड़ल्ले से संचालित होते हैं मगर पुलिस सुविधा शुल्क के चलते उस ओर जाती तक नहीं। यदि इसी तरह खुली छूट पुलिस देती रही तो किसी दिन बड़ी घटना होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।