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मां को कंधे पर लादकर, काशी की गलियों में घूम रहे हैं योगेंद्र, प्यार देखकर लोग बोले- कलियुग का श्रवण कुमार

कानपुर के रहने वाले 40 वर्षीय योगेंद्र अपनी 80 वर्षीय मां प्रेमवती को तिलभांडेश्वर मंदिर से दर्शन कराने के बाद सीढ़ियों से उतरते दिखाई पड़े। जब उनसे पूछा गया तो उनसे पहले ही मां बोल पड़ीं मैं तो चल नहीं सकती लेकिन मेरा बेटा काशी में हर जगह सावन के पहले सोमवार को दर्शन कराया और अभिषेक कराया। मेरे बेटे ने कई शहरों में भी दर्शन पूजन करवाया है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 11 Jul 2023 01:38 PM (IST)
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मां को कंधे पर लादकर, काशी की गलियों में घूम रहे हैं योगेंद्र
 जागरण संवाददाता, वाराणसी : आज की पीढ़ी में भी मातृ-पितृ भक्त संस्कारी युवाओं की कमी नहीं है। ऐसा ही एक श्रवण कुमार सावन के पहले सोमवार की भीड़ में मां को कंधे पर लादे, काशी की गली-गली में स्थित मंदिरों में दर्शन-पूजन कराने घूमता नजर आया।

कानपुर के रहने वाले 40 वर्षीय योगेंद्र अपनी 80 वर्षीय मां प्रेमवती को तिलभांडेश्वर मंदिर से दर्शन कराने के बाद सीढ़ियों से उतरते दिखाई पड़े। जब उनसे पूछा गया तो उनसे पहले ही मां बोल पड़ीं, मैं तो चल नहीं सकती लेकिन मेरा बेटा काशी में हर जगह सावन के पहले सोमवार को दर्शन कराया और अभिषेक कराया। मेरे बेटे ने इस तरह कई शहरों में भी दर्शन पूजन करवाया है।

मां प्रेमवती ने कहा कि मेरा बेटा लाखों में एक है, एक मां के रूप में मेरी जिंदगी सफल है। भगवान ने मुझे जो सबसे बड़ी कमाई दी, वह है मेरा बेटा। वहीं बेटे योगेंद्र का कहना था कि मां तो देवी का स्वरूप हैं। जब हम छोटे थे तब तक मां मुझे गोद में लेकर घूमती थीं।

अब जब वह 80 वर्ष की हैं, चल-फिर नहीं सकतीं तो इस अवस्था में हम उन्हें कैसे भूल सकते हैं। हम जिस तरह करेंगे उस तरह आने वाली पीढ़ी भी हमारे साथ उसी तरह करेंगी।

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