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वनन्तरा प्रकरण: एक माह में चार्जशीट का दावा फेल, महिला संगठन का आरोप पुलिस-प्रशासन की लापरवाही से साक्ष्य नष्ट

Vanantara Resort Case एसआइटी प्रभारी पी रेणूका देवी और पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता व अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन ने इस मामले में एक महीने के अंदर चार्जशीट दाखिल करने के दावे किए थे लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नजर नहीं आई है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 30 Oct 2022 10:12 AM (IST)
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Vanantara Resort Case : वनन्तरा रिसार्ट में महिला कर्मचारी की हत्या के मामला। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, देहरादून : Vanantara Resort Case : वनन्तरा रिसार्ट में महिला कर्मचारी की हत्या के मामले में एसआइटी एक महीने बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है।

एसआइटी प्रभारी पी रेणूका देवी और पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता व अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन ने इस मामले में एक महीने के अंदर चार्जशीट दाखिल करने के दावे किए थे, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नजर नहीं आई है।

बताया जा रहा है कि एसआइटी डिजिटल और साइंटिफिक रिपोर्ट को भी इसमें शामिल कर रही है, ताकि मजबूत चार्जशीट तैयार हो सके। जिसके लिए फारेंसिक साइंस लैब देहरादून और सेंटर लैब चंडीगढ़ से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

रिसार्ट व चीला नहर स्थित घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे न होने के चलते पुलिस यहां से पुख्ता साक्ष्य एकत्रित नहीं कर पाई है। ऐसे में पुलिस इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुए इलेक्ट्रानिक साक्ष्य से केस मजबूत करना चाहती है।

बताया जा रहा है कि हत्या के मामले में एसआइटी 500 पन्नों चार्जशीट पेश कर सकती है। एसआइटी की अध्यक्षता कर रही डीआइजी पी रेणूका देवी ने बताया कि कुछ रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट को शामिल करके चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी।

महिला विधायक का हाथ होने से इन्कार नहीं किया जा सकता

वनन्तरा रिसार्ट में महिला कर्मचारी की हत्या के मामले में छह राज्यों के 20 सदस्यीय दल ने घटनास्थल सहित अलग-अलग जगहों का दौरा कर तथ्यों की जांच पर तैयार रिपोर्ट सरकार व पत्रकारों के समक्ष रखी है। जिसमें उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के चलते मामले में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गए हैं।

शनिवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उत्तराखंड महिला मंच की पदाधिकारी निर्मला बिष्ट, पीयूसीएल की पदाधिकारी कविता श्रीवास्तव व महिला समिति की पदाधिकारी मेमुना ने कहा कि घटना के तुरंत बाद रिसार्ट को सील किया जाना चाहिए था, लेकिन उसे सील नहीं किया गया।

रिसार्ट के एक हिस्से को बुलडोजर से तोड़ दिया गया। दल का दावा है कि जिस समय रिसार्ट को तोड़कर साक्ष्य नष्ट किए जा रहे थे, उस समय महिला विधायक भी मौके पर मौजूद थीं। ऐसे में एसआइटी को उन्हें जांच के दायरे में लेना चाहिए। इसके अलावा पोस्टमार्टम के समय एक महिला गायनोकोलोजिस्ट का होना भी जरूरी था, जबकि ऐसा नहीं किया गया। इससे पता चलता है कि इस मामले में हर तरफ से लापरवाही बरती गई।

उन्होंने बताया कि इस मामले के मुख्य आरोपित पुलकित आर्या के पिता सत्ता पक्ष से जुड़े हुए हैं और स्थानीय कर्मचारियों को प्रभावित कर रहे हैं। पुलिस ने मामले से जुड़े मुख्य गवाहों को भी सुरक्षा देने की जहमत नहीं उठाई। इनमें महिला कर्मचारी के दोस्त सहित बिजनौर व मेरठ का दंपती शामिल है।

टीम ने कहा कि 18 अक्टूबर को युवती के गायब होने की सूचना मिलने पर उसके पिता लगातार पटवारी पुलिस चौकी, जिलाधिकारी, राज्य महिला आयोग, विधानसभा अध्यक्ष से गुहार लगाते रहे, लेकिन 72 घंटे बाद बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि देश के हर थाने में जीरो एफआइआर दर्ज करने का प्रविधान है। इसके लिए कहीं न कहीं सरकार व पुलिस अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।

फैक्ट्री की जमीन पर अवैध रूप से बना दिया रिसार्ट

दल की सदस्य कविता श्रीवास्तव ने कहा कि वनन्तरा रिसार्ट व अन्य स्थानों का दौरा करने पर पाया कि रिसार्ट अवैध रूप से बनाया गया है। जमीन आयुर्वेदिक फैक्ट्री के नाम पर ली गई थी। यह पूरे उत्तराखंड में चल रहे जमीनों की खरीद फरोख्त से जुड़ा मामला भी है, जिसका जनता लगातार विरोध कर रही है।

इस मौके पर जनवादी महिला समिति से दमयंती नेगी, जनांदोलन के राष्ट्रीय समन्वय से श्रुति, महिला किसान अधिकार मंच, एपवा, भारतीय महिला फेडरेशन, आइसा, डीएसओ के सदस्य व पर्यटन विशेष, अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्त्ता शामिल रहे।