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विधवा से दुष्‍कर्म के आरोपित मुकेश बोरा की मुश्किलें बढ़ीं, अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र भी हाई कोर्ट से खारिज

Mukesh Bora नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। यौन शोषण और पॉक्सो एक्ट के मामले में आरोपी मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। पीड़िता के वकीलों ने जमानत का कड़ा विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराधों के आरोपित को राहत देने से जांच प्रभावित हो सकती है।

By kishore joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 22 Sep 2024 03:20 PM (IST)
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Mukesh Bora: दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा का अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र भी नैनीताल हाई कोर्ट से खारिज। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नैनीताल। Mukesh Bora: हाई कोर्ट ने महिला के साथ दुष्कर्म करने व उसकी नाबालिग पुत्री के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपित नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा के अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र को भी खारिज कर दिया है। 17 सितंबर को कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से संबंधित प्रार्थना पत्र भी खारिज कर दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि ऐसे जघन्य अपराधों के आरोपित को अंतरिम राहत देने से विवेचना में बाधा पहुंच सकती है और वह साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकता है।

शनिवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा के अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीड़िता के अधिवक्ताओं ने अग्रिम जमानत का कड़ा विरोध किया। मामले में 13 सितंबर को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने गिरफ्तारी पर 17 सितंबर तक रोक लगाते हुए बोरा से जांच में सहयोग करने व रोज अल्मोड़ा कोतवाली में उपस्थिति दर्ज करने को कहा था।

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गिरफ्तारी पर रोक लगाने संबंधी प्रार्थनापत्र को भी कर दिया था खारिज

17 सितंबर को न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने संबंधी प्रार्थनापत्र को खारिज कर दिया था। साथ ही सरकार को मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 17 दिसंबर नियत कर दी थी। जिसके बाद बोरा की ओर से अग्रिम जमानत को प्रार्थनापत्र लगाया गया। बता दें कि लालकुआं क्षेत्र की निवासी पीड़िता ने बोरा पर दुग्ध संघ में पक्की नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक होटल में दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।

पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच आरंभ की तो पीड़िता ने बोरा पर उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया। जिसके बाद पुलिस ने बोरा पर दर्ज मुकदमे में पोक्सो एक्ट की धारा जोड़ दी थी। नियमित करने के लिए दबाव डालने का रखा तर्क एकलपीठ में सुनवाई के दौरान बोरा के अधिवक्ता ने बताया कि यह घटना 2021 की है। दो साल आठ माह बीत जाने के अब प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी में कहीं भी छेड़छाड़ का आरोप नही है।

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बयान में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया, इसलिए पोक्सो एक्ट नहीं लगाया जा सकता। पुलिस ने उनके दोनों घरों का सामान लाकर थाने में जमा कर दिया है। अधिवक्ता का कहना था कि पीड़िता दुग्ध संघ में नियमित नियुक्ति दिलाने का दबाव डाल रही थी। जबकि वह संघ की नहीं बल्कि आउटसोर्स कंपनी की कर्मचारी थी। जब कंपनी का टेंडर निरस्त किया तो उन्हें साजिशन फंसाया गया।

मामले में सरकार व पीड़िता की तरफ की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोपित के घर की की कुर्की हो चुकी है और अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र सुनने योग्य नही है। पीड़िता की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपित ने 2021 से लेकर अब तक उसका शोषण किया है। बार-बार जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इसके सारे साक्ष्य उसके पास है। अभी तक बोरा ने अपना मोबाइल तक पुलिस को नही दिखाया। बार बार पुलिस को चकमा दे रहा है।