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Akash Ganga: आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल के रहस्य से हटा पर्दा, एरीज के इस विज्ञानी ने निभाई अहम भूमिका

खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने विशाल ब्लैक होल में हो रही हिचकी की तरह हलचल के रहस्य से पर्दा उठा दिया। इसकी वजह गैस उत्सर्जन के आवधिक विस्फोट है। यह खोज ब्लैक होलों में अब तक अनदेखे व्यवहार पर प्रकाश डालती है। डा सुवेन्दु रक्षित ने बताया कि खगोलविदों ने एक दूर की आकाशगंगा के केंद्र में एक अनोखी घटना होते देखी जो वैज्ञानिकों को भ्रमित करने वाली घटना थी।

By kishore joshi Edited By: Swati Singh Updated: Fri, 29 Mar 2024 06:58 PM (IST)
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आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल के रहस्य से हटा पर्दा, ब्लेकहोल का प्रतिकात्मक चित्र।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने विशाल ब्लैक होल में हो रही हिचकी की तरह हलचल के रहस्य से पर्दा उठा दिया है। इसकी वजह गैस उत्सर्जन के आवधिक विस्फोट है। यह खोज ब्लैक होलों में अब तक अनदेखे व्यवहार पर प्रकाश डालती है। इस अभूतपूर्व खोज में आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज ) के विज्ञानी डा सुवेंदु रक्षित का महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

डा सुवेन्दु रक्षित ने बताया कि इस अभूतपूर्व खोज में खगोलविदों ने एक दूर की आकाशगंगा के केंद्र में एक अनोखी घटना होते देखी, जो वैज्ञानिकों को भ्रमित करने वाली घटना थी। यह आकाशगंगा पृथ्वी से लगभग 80 करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर है। जिसके केंद्र में एक महाविशाल ब्लैक होल है। जिसका व्यवहार हिचकियों के समान था। ये हिचकियां लगातार हो रही थी।

अप्रत्याशित बदलाव ने किया जांच के लिए प्रेरित

गहन अध्ययन के बाद पता चला कि यह हिचकियां हर 8.5 दिनों के अंतराल में गैस उत्सर्जन के आवधिक विस्फोट के रूप में प्रकट होती हैं और इसके बाद अपनी सामान्य अवस्था में लौट आती हैं। 2020 से यह आकाशगंगा अपेक्षाकृत शांत थी। बाद में अप्रत्याशित बदलाव ने इस रहस्य से पर्दा हटाने के लिए विज्ञानियों को मजबूर किया। यह खोज पारंपरिक समझ को चुनौती देती है।

अभी तक पूरी नहीं सुलझी है ब्लैक होल की गुत्थी

खोज के मुख्य विज्ञानी कांवली इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च के डॉ. धीरज पाशम के अनुसार ब्लैक होल के बारे में हमारी जानकारी आज भी पूरी नहीं है। यह घटना एक तारे के महाविशाल ब्लैक होल के करीब आने से हुई। जिसमें प्रचंड गुरुत्वाकर्षण ने तारे के टुकड़े कर दिए। यह ज्वारीय व्यवधान घटना होती है। जिसमें एक ब्लैक होल की डिस्क को उज्ज्वल कर दिया। इस घटना में चार महीनों तक महाविशाल ब्लैक होल तारे के मलबे को खाता रहा।

इंसेट छोटा ब्लैक होल कर रहा सुपरमैसिव ब्लैक होल की परिक्रमा

एरीज के डा. रक्षित ने बताया कि एक छोटा ब्लैक होल केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है, जो समय-समय पर सुपरमैसिव ब्लैक होल की गैस की डिस्क को बाधित करता है। जिस कारण एक गैस का गुबार उत्पन्न होता है। इस खोज से पता चलता है कि इसकी डिस्क में ब्लैक होल समेत तारे भी शामिल हैं। यह खोज ऑटोमेटेड सर्वे फॉर सुपरनोवा (असास-एसएन) रोबोटिक दूरबीनों के नेटवर्क के जरिए संभव हो सकी । नासा के न्यूट्रॉन स्टार इंटीरियर कंपोजिशन एक्सप्लोरर (नाइसर) दूरबीन का भी इस खोज में सहारा लिया गया।

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