उत्तराखंड के हालात: नीचे उफनाती नदी और ऊपर सूख और सड़ चुके दो पेड़ों के भरोसे 125 लोगों की जिदंगी
Uttarakhand News उत्तराखंड के हल्द्वानी में गौला नदी पर दानीजाला गांव के लोगों के लिए ट्रॉली से नदी पार करना खतरे से खाली नहीं है। दो पेड़ों के सहारे चलने वाली इस ट्रॉली की हालत जर्जर है और ग्रामीणों को हर दिन जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। दैनिक जागरण ने दानीजाला गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से उनकी समस्याओं के बारे में बात की।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Uttarakhand News: दानीजाला की कहानी अभी बाकी...। सैन्य बहुल इस गांव के लोगों की जिदंगी जिन दो पेड़ों के भरोसे टिकी है, उनमें से एक सूख चुका है। जबकि दूसरा सूखने के साथ सड़ भी गया है। ट्राली को खींचने के लिए जरूरी लोहे का तार इन दो पेड़ों पर ही बांधा गया। इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।
अब सोचकर देखिए कि जिन दो पेड़ों के सहारे के गांव के 125 लोग आना-जाना करते हैं, जब उनका हाल ये है तो ट्राली में बैठने के बाद उफनाती गौला नदी को पार करने वाले ग्रामीणों की जिदंगी कितनी खतरे में होगी? हर दिन नई चुनौती और इस संकट से पार पाने के लिए दानीजाला के लोग सरकार और सिस्टम से सिर्फ एक पुल की मांग कर रहे हैं। लेकिन कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं है।
क्या घर न जाएं या जरूरी काम से बाहर न जाएं?
खैर की जड़ें गहरी नहीं, कुकाट की मजबूती नहीं
अनदेखा कर रही है सरकार
प्रेम सिंह बच्चों और बीमार लोगों को लेकर हमेशा मन में डर रहता है। ट्राली से नदी पार करना कभी भी खतरनाक हो सकता है। मगर मजबूरी यह है कि दानीजाला के लोग इसके अलावा और क्या करें। - नर सिंह रजवार
इस पुल के लिए नैनीताल से लेकर देहरादून तक चक्कर लगा चुका हूं। दस्तावेजों का पुलिंदा लेकर घूमता हूं। बस एक ही मांग है कि हमें पुल मिले। सरकार को इस गांव की सुननी चाहिए। - पान सिंह बिष्ट
पुराने लोग जैसे-तैसे दिन काट रहे हैं। हमारी नई पीढ़ी के बारे में सोचा जाना चाहिए। अच्छे स्कूल और कोचिंग सेंटर हल्द्वानी में है। वहां जाने के लिए कम से कम एक पुल तो हमें मिलना चाहिए। - इंद्रा चंद
जिस तरह और जगहों पर पुल बनते हैं, वैसे ही मेरे गांव में भी पुल बन सकता है। सर्वे के बाद कई बार प्रस्ताव भी बन चुके हैं। उसके बावजूद धरातल पर कुछ नहीं हुआ। दानीजाला संग भेदभाव किसलिए। - तुलसी बिष्ट
दिन के उजाले के समय ट्राली का सफर खतरनाक तो है ही, अंधेरा होते ही डर और बढ़ जाता है। गांव के लोगों को और परेशान नहीं किया जाना चाहिए। 100 मीटर पुल की मांग पूरी नहीं हो पा रही। - लीला देवी