मंदिरों में सिर्फ पांच लोग ही कर पाएंगे प्रवेश
पूíणमा तिथि प्रारम्भ अप्रैल 26 2021 को 1244 शाम से पूíणमा तिथि समाप्त अप्रैल 27 2021 को 0901 स
-हनुमान जंयती पर कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन, पूíणमा तिथि समाप्त अप्रैल 27, 2021 को 09:01 सुबह तक जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार है सिलीगुड़ी। यहां हनुमान जयंती पर विभिन्न हनुमान मंदिरों में हनुमान उत्सव का आयोजन किया जाएगा। यहां कोरोना के नियमों का पालन करते हुए उत्सव मनेगा। मंदिरों के प्रबंधकों का कहना है कि पांच भक्त ही एक साथ मंदिर में प्रवेश कर पाएंगे। उसके पहले कोरोना नियमों का पालन कराया जाएगा। बताया गया कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूíणमा को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन को हनुमान जयंती के नाम से भी जानते हैं। इस वर्ष चैत्र मास की शुक्ल में इस दिन हनुमान जी के साथ भगवान राम की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों में भगवान राम ही हनुमान जी के अराध्य बताए गए हैं। ऐसे में बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए भगवान राम की भी पूजा की जाती है। ऐसे करें पूजा
आचार्य पंडित यशोधर झा ने बताया कि उत्तर-पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा रखें। हनुमान जी के साथ श्री राम जी के चित्र की स्थापना करें। हनुमान जी को लाल और राम जी को पीले फूल अíपत करें। अब लड्डुओं के साथ-साथ तुलसी दल भी अíपत करें। पहले श्री राम के मंत्र च्राम रामाय नम: का जाप करें। फिर हनुमान जी के मंत्र ॐ हं हनुमते नम: का जाप करें। इसके अलावा हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल में नारंगी सिंदूर घोलकर चढ़ाएं। वहीं हनुमान जी को चमेली की खुश्बू या तेल और लाल फूल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। हनुमान जी को अíपत करने वाले प्रसाद का भी ध्यान रखें। जो भी प्रसाद तैयार करें वो स्नान करके पूरी तरह से शु्द्ध हो। प्रसाद भी शुद्ध साम्रगी से तैयार करें।यही कारण है कि हर युग में वह भगवान श्री राम के भक्तों की रक्षा करते हैं। हनुमान चालीसा की एक चौपाई के अनुसार माता जानकी जी से इन्हें ऐसा वरदान मिला है जिससे वह किसी को भी आठों सिद्धिया और नौ निधिया दे सकते हैं।
जब प्रभु श्री राम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की तो यह सुनकर हनुमान जी बहुत आहत हुए। वह माता सीता के पास गए और कहा,हे माता आपने मुझे अजर-अमर होने का वरदान तो दिया परन्तु एक बात बतलाएं, जब मेरे प्रभु ही इस धरती पर नहीं होगे तो मैं यहा क्या करूंगा? मुझसे अपना दिया हुआ वरदान वापस ले लीजिए।
हनुमान को मिला है अमरत्व का वरदान
हनुमान जी ने अपने अमरत्व के वरदान को समझा और प्रभु श्रीराम की आज्ञा मान कर आज भी पृथ्वी पर विराजमान हैं। भगवान श्री राम के कार्य सिद्ध करने वाले हनुमान जी साक्षात रुद्रावतार और संकट मोचन हैं। भगवान शिव ने भगवान राम को अपना परम उपास्य तथा ईष्ट देवता माना परन्तु साक्षात नारायण ने जब नर रूप धारण कर श्री राम के नाम से अवतार ग्रहण किया तो शकर जी शिव रूप में नर रूप की कैसे आराधना कर सकते थे।
हनुमान की पूजा से शनि नहीं होते नाराज
एक पौराणिक कथा के अनुसार हनुमानजी ने रावण की कैद में उलटे लटके शनिदेव को मुक्ति दिलाई थी। इस समय हनुमानजी को शनिदेव ने वचन दिया था कि वह हनुमान भक्तों को कभी नहीं सताएंगे। इसलिए शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए हनुमान जी की पूजा फलदायी बताई गई है।
हनुमान जयंती पर शनि के प्रभाव को कम करने के लिए शनि देव के मंत्र ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये का एक माला जाप करें।