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राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में ममता की उपस्थिति की संभावना कम, निमंत्रण को लेकर TMC नेता कुछ भी कहने को तैयार नहीं

तृणमूल सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी की सोच है कि धर्म सबका है त्योहार सबका है। चुनाव से पहले जिस तरह से भाजपा नेतृत्व धर्म पर राजनीति कर रहा है वह स्वीकार्य नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी अगर राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होती हैं तो उनकी पार्टी को लगता है कि गलत संदेश जाएगा।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Wed, 27 Dec 2023 05:33 PM (IST)
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तृणमूल नेता अयोध्या मंदिर के मुद्दे पर विरोध का सुर नहीं उठाना चाहते हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। अगर आखिरी वक्त में कोई बदलाव नहीं हुआ तो इस बात की पूरी संभावना है कि अगले महीने की 22 तारीख को राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी नजर नहीं आएंगी। सूत्रों का दावा है कि पार्टी नेत्री ने करीबी नेताओं को इसका संकेत दिया है। हालांकि, निमंत्रण पत्र आया है या नहीं, इस बारे में तृणमूल नेता सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।

धर्म सबका है त्योहार सबका है

तृणमूल सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी की सोच है कि धर्म सबका है, त्योहार सबका है। चुनाव से पहले जिस तरह से भाजपा नेतृत्व धर्म पर राजनीति कर रहा है वह स्वीकार्य नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी अगर राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होती हैं तो उनकी पार्टी को लगता है कि गलत संदेश जाएगा। वहीं हिंदू वोट बैंक के बारे में सोचकर तृणमूल नेता अयोध्या मंदिर के मुद्दे पर विरोध का सुर भी नहीं उठाना चाहते हैं।

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मुस्लिम वोट बैंक तृणमूल की ताकत

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक दरअसल चुनाव से पहले राम मंदिर समारोह में शामिल होकर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से राजनीतिक गणित लगा रहे हैं। उदाहरण के लिए बंगाल में मुस्लिम वोट बैंक तृणमूल की ताकत माना जाता है। उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा तृणमूल नेतृत्व की यह भी जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि विपक्षी राजनीति की विश्वसनीयता कम न हो। इस बीच बंगाल में वामपंथियों ने बार-बार ममता पर निशाना साधते हुए उन पर मोदी के साथ सेटिंग करने का आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी पहले से ही दीदी-मोदी के गुप्त समझौते का आरोप लगाते रहे हैं।

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