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नई युद्ध नीति बना रहा चीन, शी जिनपिंग बनाएंगे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना! ताकि अमेरिका को हराया जा सके

Peoples Liberation Army लड़ाई के अपने पुराने सिद्धांतों पर चलते हुए चीन की सेना ने पड़ोसी देशों से जो युद्ध जीते थे उन्हें अब वह बदलने जा रही है। अब वह मजबूत दुश्मनों और विरोधियों से मुकाबला करने और जीत हासिल करने के लिए नई युद्ध नीति तैयार कर रही है। उसी के अनुसार सेनाओं को तैयार किया जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 25 Aug 2024 07:00 AM (IST)
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चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिन। (फाइल फोटो)

पीटीआई, बीजिंग। लड़ाई के अपने पुराने सिद्धांतों पर चलते हुए चीन की सेना ने पड़ोसी देशों से जो युद्ध जीते थे, उन्हें अब वह बदलने जा रही है। अब वह मजबूत दुश्मनों और विरोधियों से मुकाबला करने और जीत हासिल करने के लिए नई युद्ध नीति तैयार कर रही है। उसी के अनुसार सेनाओं को तैयार किया जा रहा है।

चीन अब अमेरिका को अपना विरोधी मानकर सैन्य तैयारी कर रहा है। राष्ट्रपति शी जिंगपिन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को अपनी रणनीतिक क्षमता में बढ़ोतरी करने का निर्देश दिया है।

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इसे चीन की संप्रभुता की रक्षा और हितों के विकास के लिए जरूरी बताया है। विदित हो कि जिनपिंग चीन के सैन्य आयोग के चेयरमैन भी हैं जो सेनाओं का सर्वोच्च पद है। आधुनिक चीन के प्रणेता माने जाने वाले देंग शियाओपिग की 120 वीं जयंती पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति जिनपिंग ने देंग की प्रगतिशील नीतियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और सेना को मजबूत बनाने के उनके प्रयासों के बारे में बताया।

विश्व की श्रेष्ठतम सेना बनने का लक्ष्य

जिनपिंग ने कहा, देंग को सम्मान देने का सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि हम उनके बताए बेहतरी के प्रयासों को जारी रखें। वह जिस तरह से देश को निरंतर आगे बढ़ाते रहना चाहते थे, उसी रास्ते पर हम बढ़ते रहें। देंग पीएलए को आधुनिक, मजबूत और सुसंगठित सैन्य बल बनाना चाहते थे, जिसे विश्व की श्रेष्ठतम सेना माना जाए। इसलिए पीएलए रणनीतिक श्रेष्ठता हासिल करने के लिए अपने प्रयास जारी रखे। उसका लक्ष्य विश्व की श्रेष्ठतम सेना बनने का होना चाहिए।

सेना के सहारे आगे बढ़ना चाहता चीन

विदित हो कि पीएलए को यह निर्देश तब दिया गया है कि जब चीन बहुत सारे मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। वह अपने विस्तार के लिए जो प्रयोग कर रहा है उनसे विवाद खड़े हो रहे हैं और उन विवादों से निपटे बगैर चीन आगे बढ़ नहीं सकता, इसलिए चीनी नेतृत्व को अब लग रहा है कि सैन्य श्रेष्ठता के बगैर आगे बढ़ना मुश्किल है।

सैन्य क्षमता ही उसके आगे बढ़ते रहने का रास्ता बना सकती है। ताइवान और दक्षिण चीन सागर, दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आगे बढ़ने पर चीन का अमेरिका से टकराव होना निश्चित है, ऐसे में सैन्य श्रेष्ठता के बगैर चीन अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता है।

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