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हिन्दी और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रचार के लिए गहन चर्चा, थाईलैंड और कम्बोडिया दौरे पर 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल

बैंकॉक के सोई 23 सुखुमवित स्थित भारतीय दूतावास में राजदूत नागेश सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार विश्व हिन्दी परिषद महासचिव डॉ. विपिन कुमार और प्रतिनिधिमंडल के लिए चाय की मेज़बानी की गई। विदित हो इस 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय श्री इंद्रेश जी कर रहे हैं प्रतिनिधिमंडल का समन्वय पंचमधाम के सचिव शैलेश वत्स द्वारा किया जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Sat, 06 Apr 2024 06:24 PM (IST)
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राजदूत नागेश सिंह ने प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की।
डिजिटल डेस्क, बैंकाक। हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भारत का 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल इन दिनों थाईलैंड और कम्बोडिया की यात्रा पर है। बता दें कि यह यात्रा 2 से 8 अप्रैल, 2014 तक रहेगी। इस कड़ी में, बैंकॉक के सोई 23, सुखुमवित स्थित भारतीय दूतावास में राजदूत नागेश सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, विश्व हिन्दी परिषद महासचिव डॉ. विपिन कुमार और प्रतिनिधिमंडल के लिए चाय की मेजबानी की गई।

विदित हो इस 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय श्री इंद्रेश जी कर रहे हैं और पूरे प्रतिनिधिमंडल का समन्वय पंचमधाम के सचिव शैलेश वत्स द्वारा किया जा रहा है।

इस भेंट के दौरान सभी गणमान्यों के बीच, हिन्दी और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रचार-प्रसार को लेकर काफी गहरी चर्चा हुई। इस दौरान डॉ. विपिन कुमार ने बीते 10 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पूरी दुनिया में भारतीयता के विस्तार की दिशा में किये जा रहे अथक प्रयासों को भी उठाया।

बता दें कि इससे पहले भी डॉ. विपिन कुमार ने भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस और फिजी में भाग ले चुके हैं और साथ ही वियतनाम में उन्हें जनवरी 2024 में वियतनाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मानित किया गया था। डॉ. विपिन कुमार का समर्पण हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति के साथ ही विश्व में हिंदी भाषा और सांस्कृतिक समृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया है।

डॉ. कुमार ने हिन्दी भाषा और साहित्य पर कई पुस्तकों का लेखन किया है, जैसे “हिन्दी और समाज”, “सब का साथ, सबका विकास” इत्यादि। यह अवसर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने और हिन्दी भाषा को विश्व स्तर पर एक प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।