Emmerson Mnangagwa: एमर्सन मंगाग्वा एक बार फिर बने जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति, क्या इन चुनौतियों से निपट पाएंगे?
एमर्सन मंगाग्वा को दोबारा जिम्बाब्वे का राष्ट्रपति चुना गया है। यह उनका अंतिम कार्यकाल होगा। मंगाग्वा ने चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नेल्सन चामिसा को हराकर जीत दर्ज की। मंगाग्वा की इस जीत ने जिम्बाब्वे की सत्ता पर ZANY-PF की पकड़ और मजबूत कर दी है। हालांकि दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद 80 वर्षीय मंगाग्वा के सामने कई चुनौतियां हैं।
हरारे, एएनआई। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मंगाग्वा (Zimbabwe President Emmerson Mnangagwa) को शनिवार को दूसरे और अंतिम कार्यकाल के लिए फिर से चुन लिया गया है। हालांकि, सत्ताधारी पार्टी ZANY-PF पर धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह जानकारी दी।
जिम्बाब्वे की सत्ता पर मजबूत हुई ZANY-PF की पकड़
एमर्सन मंगाग्वा ने राष्ट्रपति चुनाव में नेल्सन चामिसा को हराया है, जो उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी थे। मंगाग्वा की इस जीत ने जिम्बाब्वे की सत्ता पर ZANY-PF की पकड़ मजबूत कर दी।
मंगाग्वा के सामने हैं कई चुनौतियां
दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद 80 वर्षीय मंगाग्वा के सामने कई चुनौतियां हैं। जिम्बाव्वे पिछले दो दशकों से विनाशकारी आर्थिक नीतियों का सामना कर रहा है, जिसके चलते देश में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ गई है। देश में दवाओं और उपकरणों की भी कमी है।
मंगाग्वा के जीतने के बाद अब जिम्बाब्वे का पश्चिमी देशों से तनाव बढ़ सकता है, जिन्होंने 18 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज से निपटने में मदद करने के बदले में देश में बेहतर लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सम्मान की मांग की है।
चुनाव में अनियमतिता का रहा है इतिहास
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, जिम्बाब्वे की आबादी 16 मिलियन (एक करोड़ 60 लाख) है। यह अफ्रीका महाद्वीप में स्थित हैं। यहां चुनाव में अनियमितताओं का इतिहास रहा है, जिसकी बदौलत रॉबर्ट मुगाबे, जो एक मुक्तिवादी नेता से निरंकुश बन गए थे, को लगभग चार दशकों तक सत्ता बनाए रखने में मदद मिली।
मुगाबे को 2017 में मंगाग्वा और उसके सहयोगियों द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिया गया। अगले वर्ष, मंगाग्वा ने चुनाव में चामिसा को हराकर जीत हासिल की। उन्हें 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। इस साल बुधवार को हुए मतदान में कुछ मतदान स्थानों पर दस घंटे से अधिक की देरी हुई, क्योंकि देश का चुनाव आयोग समय पर मतपत्र वितरित करने में विफल रहा।
मतदान में हुई देरी
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मतदान में देरी के कारण कई मतदाताओं को रात भर मतदान केंद्रों पर डेरा डालना पड़ा, जिसका सबसे अधिक असर शहरी क्षेत्रों पर पड़ा, जहां चामिसा और उनकी पार्टी को सबसे अधिक समर्थन प्राप्त है।
यूरोपीय संघ के मिशन ने की तीखी आलोचना
चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले कई स्वतंत्र विदेशी पर्यवेक्षक मिशनों ने चुनावों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता की आलोचना की। यूरोपीय संघ के मिशन ने सबसे तीखी आलोचना करते हुए एक बयान में कहा कि सरकार ने दमनकारी कानून पारित करने के साथ हिंसा और धमकी के सहारे मौलिक स्वतंत्रता को कम कर दिया है, जिसके चलते लोगों में भय का माहौल पैदा हुआ।