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इंसानों की खातिर 200 हाथियों का कत्लेआम करेगा यह देश, क्यों उठाने जा रहा ऐसा कदम?

Zimbabwe News इंसानों की भूख से तड़प तड़पकर मौत होने के मामलों के बाद अब 200 हाथियों का कत्लेआम करने और उनका मांस भूख से पीड़ित लोगों खिलाने का निर्णय अफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे की वाइल्डलाइफ अथॉरिटी ने लिया है। इस देश में पिछले चार दशकों से भयानक सूखा पड़ा हुआ है। खाने के लिए फसलें भी नहीं बची हैं। इस कारण हाथियों को मारने का निर्णय लिया गया है।

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Wed, 18 Sep 2024 03:11 PM (IST)
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Zimbabwe News: इंसानों भूख मिटाने के लिए 200 हाथियों को मारने का फैसला लिया गया है।

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार्ल्स डार्विन का यह कथन बड़ा प्रचलित है 'सर्वाइवल ऑफ ​द फिटेस्ट'। यही कारण है कि जिंदगी जीने की जंग में भूख से तड़प रहे इंसानों को खाना मिल सके, इसके लिए 200 हाथियों का कत्ल कर दिया जाएगा। 40 साल के भयानक दुर्भिक्ष यानी अकाल से जूझ रहे लोग भयानक भूख से तड़प तड़पकर मर रहे हैं। ऐसे में इंसानों को मांस खिलाने के लिए एक दो नहीं, बल्कि 200 हाथियों को मार दिया जाएगा।

चार दशक से सूखे की चपेट में लोग

इंसानों की भूख मिटाने के लिए 200 हाथियों का कत्ल करने का निर्णय अफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे के की वाइल्डलाइफ अथॉरिटी ने लिया है। अफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से भयानक सूखे की चपेट में है। खाने के लिए फसलें खत्म हो चुकी है, खाने को कुछ नहीं बचा है। इसलिए यहां यह फैसला लिया गया है कि 200 हाथियों का कत्ल करके उनके मांस से लोगों की भूख मिटाई जाएगी।

करीब 7 करोड़ लोगों पर संकट

दक्षिण अफ्रीकी देशों में इस समय अल-नीनो की वजह से सूखा पड़ा हुआ है। इसकी जद में लगभग 6.80 करोड़ लोग हैं। पूरे क्षेत्र में खाने की सामग्रियों की बड़ी किल्लत बनी हुई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार जिम्बॉब्वे पार्क्स एंड वाइल्डलाइफ अथॉरिटी ने 200 हाथियों को मारने की बात की पुष्टि कर दी है।

पहले भी मारे गए हैं हाथी

जिम्बॉब्वे के पड़ोसी देश नामीबिया में भी इंसानों की भूखे हो रही मौतों पर 83 हाथियों को मारने का निर्णय लिया गया था। दरअसल, अफ्रीका के पांच देशों में हाथियों की तादाद सबसे अधिक है। ये देश जिम्बॉब्वे, जांबिया, बोत्सवाना, अंगोला और नामीबिया हैं। इन देशों में हाथियों की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है।

84 हजार हाथी हैं यहां के जंगलों में

जिम्बॉब्वे की वाइल्डलाइफ अथॉरिटी का कहना है कि हाथियों को मरने से एक लाभ यह भी है कि उनकी आबादी कंट्रोल में रहती है। जिम्बॉब्वे के जंगलों में 55 हजार हाथियों को संभालने की क्षमता है, लेकिन इस समय यहां हाथियों की संख्या 84 हजार से अधिक है। इसलिए 200 हाथी मार ​भी दिए जाएं तो कोई दिक्कत नहीं।

हजारों करोड़ रुपए हाथी दांत पड़े हैं इस देश में

जिम्बॉब्वे में हाथियों की ज्यादा तादाद के कारण हाथियों के इंसानों पर हमलों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले वर्ष इस देश में हाथियों के हमलों में 50 लोगों की मौत हुई। जिम्बॉब्वे इस समय यूएन कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एनडेंजर्ड स्पीसीज (CITES) के लिए कोशिश में जुटा हुआ है, जिससे कि हाथी दांत और हाथियों की बिक्री का व्यवसाय का रास्ता खुल सके। जिम्बॉब्वे के पास विश्व के सर्वाधिक हाथी दांतों का जखीरा है। यह धनराशि 5 हजार करोड़ से भी ज्यादा है।