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फ्यूल कार या हाइब्रिड कार, जानें कौन सा ऑप्शन है ज्यादा बेहतर

देश में फ्यूल कारों के साथ ही अब हाइब्रिड कारें भी काफी पॉपुलर हो चुकी हैं। हाइब्रिड कारें कई मायनों में फ्यूल कारों से बेहतर हैं इसके बावजूद फ्यूल कारों को अब भी देश में पसंद किया जाता है। आज हम इन दोनों कारों का कम्पैरिजन लेकर आए हैं ।

By Vineet SinghEdited By: Updated: Fri, 18 Dec 2020 06:59 AM (IST)
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फ्यूल कार और हाइब्रिड कार में कम्पैरिजन (फोटो आभार: पिक्साबे)

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। आज से कुछ साल पहले तक भारत में सिर्फ फ्यूल कारें और सीएनजी कारें ही अवेलेबल थीं, लेकिन समय बीतने के साथ ही ऑटो सेक्टर में बदलाव आए हैं और अब मार्केट में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों के भी कई सारे ऑप्शंस अवेलेबल हैं। हालांकि देश में इलेक्ट्रिक कारों का इंफ्रास्ट्रक्चर अभी तैयार नहीं हुआ है इसलिए लोग इन्हें खरीदने से बचते हैं। ऐसे में ज्यादातर लोग अब हाइब्रिड कारें पसंद कर रहे हैं। देश में फ्यूल कारों के साथ ही अब हाइब्रिड कारें भी काफी पॉपुलर हो चुकी हैं। हाइब्रिड कारें कई मायनों में फ्यूल कारों से बेहतर हैं इसके बावजूद फ्यूल कारों को अब भी देश में पसंद किया जाता है। आज इस खबर में हम आपके लिए फ्यूल कार और हाइब्रिड कार के बीच कम्पैरिजन लेकर आए हैं जिससे आप समझ सकें कि आपके लिए कौन सी कार बेहतर रहेगी।

इंजन: अगर बात करें फ्यूल कार की तो इनमें कार को एनर्जी देने के लिए फ्यूल इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। ये इंजन काफी पावरफुल होता है। कार चलाने के लिए यही एकमात्र इंजन होता है। जबकि हाइब्रिड कारों में ऐसा नहीं है। हाइब्रिड कारों में फ्यूल इंजन के साथ ही कार में एक इलेक्ट्रिक मोटर भी होती है। ऐसे में आपकी कार हाइब्रिड कार इन दोनों से ही पावर लेती है जिससे फ्यूल की खपत कम होती है।

फ्यूल: फ्यूल कारों को पावर देने के लिए पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल किया जाता है। हाइब्रिड कार के फ्यूल इंजन में पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल तो होता ही है लेकिन इसमें एक बैटरी भी लगी होती है जो इसकी इलेक्ट्रिक मोटर को पावर देती है। ये मोटर बेहद ही पावरफुल होती है और कार को एक्स्ट्रा एनर्जी देती है।

माइलेज: अगर तुलना की जाए कि फ्यूल कार ज्यादा माइलेज देती है या फिर हाइब्रिड कार तो इस मामले में हाइब्रिड कार आगे रहती है। दरअसल फ्यूल कार पावर जेनरेट करने के लिए सिर्फ पेट्रोल-डीजल पर निर्भर रहती है वहीं हाइब्रिड कार में पेट्रोल-डीजल के साथ बैटरी सपोर्ट भी मिलता है जिससे ये कार आम फ्यूल कार से कहीं ज्यादा माइलेज जेनरेट करती है।

सर्विसिंग: फ्यूल कारों में सिर्फ एक इंजन होता है जिसकी वजह से इसकी सर्विसिंग ज्यादा आसान और कम खर्चीली होती है। वहीं हाइब्रिड कारों की बात करें तो इनकी सर्विसिंग का खर्च नॉर्मल फ्यूल कार से ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी भी होती है जिसकी सर्विसिंग अलग से करनी पड़ती है ऐसे में सर्विसिंग की कॉस्ट थोड़ा बढ़ जाती है।

परफॉर्मेंस: वैसे तो फ्यूल कारों में परफॉर्मेंस की कोई दिक्कत नहीं होती है लेकिन हाइब्रिड कारों की तुलना में ये कम पावर जेनरेट करती हैं। हाइब्रिड कारों में फ्यूल कार से ज्यादा पावर जेनरेट करने की क्षमता होती है। दरअसल इस कार में फ्यूल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर साथ मिलकर का करती है।

कीमत: इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी की वजह से हाइब्रिड कारों की कीमत थोड़ी ज्यादा हो जाती है वहीं फ्यूल कारें इनकी तुलना में काफी सस्ती कीमत में खरीदी जा सकती हैं।