समय रहते गाड़ी का व्हील बैलेंसिंग करवाना बेहद जरूरी, बढ़ जाएगी टायरों की लाइफ
कई कैब ड्राइवर 2-3 महीने में गाड़ी का टायर बदलते हैं । वहीं अगर आप निजी उपयोग के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो आप 2 महीने में कम से कम एक बार इसे जरूर चेक करवा लें।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। जिस तरह लोग अपने लाइफ बैलेस करने के लिए काफी कुछ करते हैं, ठीक वैसे ही व्हील बैलेंसिंग भी जरूरी होती है। क्योंकि कई बार गाड़ी पंचर होने पर, स्पीड ब्रेकर पर अचानक ब्रेक दबाने पर, ऑफ-रोड राइड करने पर या फिर गढ्ढे में गिर जाने के पार टायरों की बैलेंसिंग खराब हो जाती है, जिससे टायर बबलिंग, टायर घिसता आदि जैसे बड़ी समस्या सामने आ जाती हैं। इसलिए, इस खबर के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं व्हील बैलेंसिंग और एलाइमेंट के बारे में।
अगर आप टैक्सी ड्राइवर है और रोजाना 200-300 किलोमीटर तक अपनी गाड़ी चलाते हैं तो आपको कम से कम 20-25 दिन में एक बार टायर के चारो पहिया की बैलेंसिंग चेक करवाने की आवश्यकता है। कई कैब ड्राइवर 2-3 महीने में गाड़ी का टायर बदलते हैं अगर वह समय अनुसार व्हील बैलेंसिंग चेक करवाते रहते हैं तो उनके टायर की लाइफ लंबी हो सकती है। वहीं अगर आप निजी उपयोग के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो 2 महीने में कम से कम एक बार इसे जरूर चेक करवा लें।
कैसे होती हैं व्हील बैलेंसिंग
- सबसे पहले गाड़ी के चारो टायरों को निकाला जाता है और उसे कंप्यूटराइज्ड व्हील बैलेंसर पर रखा जाता है, जहां चारों टायरों की स्थिति की जांच की जाती है।
- उसके बाद बैलेंस चेक करने वाली मशीन एक-एक करके सभी टायरों का वजह और बैलेंस चेक करती है और किसी टायर का बैलेंस सही नहीं रहता है तो उसकी पहचान करती है।
- जिस टायर में कमी पाई जाती है उसे ठीक करके गाड़ी में लगा दिया जाता है, जिसके बाद उसे फिर से लगा दिया जाता है।