नेपाल में पांच दिनों तक मनाई जाती है दिवाली, होती है कौआ और कुकुर की पूजा; बौद्धों की भी जुड़ी हुई है आस्था
Nepal Diwali दीपावली का त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि नेपाल में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल में यह त्योहार पांच दिनों तक चलता है जिसमें काग कुकुर गाय तिहार पर्वत के साथ भाई टीका पर्व शामिल है। नेपाल में पर्व तिहार से दो दिन पहले शुरू होता है और दो दिन बाद समाप्त होता है ।
दीपक कुमार गुप्ता, सिकटी (अररिया)। प्रकाश पर्व दीपावली पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल में दीपावली पर्व को तिहार के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में दशान पर्व के बाद दीपावली दूसरा सबसे लोकप्रिय त्योहार है।
यह पर्व नेपाल में न केवल देवताओं की प्रशंसा करता है, बल्कि जानवरों और पक्षियों से भी निकटता को दर्शाता है। हिंदू कैलेंडर में कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है, लेकिन नेपाल में पर्व तिहार से दो दिन पहले शुरू होता है और दो दिन बाद समाप्त होता है।
नेपाल में यह त्योहार पांच दिनों तक चलता है, जिसमें काग, कुकुर, गाय, तिहार पर्वत के साथ भाई टीका पर्व शामिल है। पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व में घर के सभी सदस्य आनंद उठाते हैं।
बौद्ध धर्म के लोग भी मनाते हैं दिवाली
नेपाल में दीपावली का उत्सव एक महीना पहले शुरू होता है। इस मौके पर दीप जलाकर सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। नेपाल में दिवाली न केवल हिंदू बल्कि बौद्धों द्वारा भी मनाया जाता है। इस दौरान लोग भगवान यम से प्रार्थना करते हैं कि मृत्यु के बाद उनकी योग्यता और सम्मान की सराहना हो तथा स्वर्ग की प्राप्ति हो।
होती है पांच अलग-अलग देवताओं की पूजा
विराट नगर की गीता कार्की, रंगेली के रमेश पोखरेल बताते हैं कि नेपाल में पांच दिनों में पांच अलग-अलग देवताओं की पूजा होती है। दीपावली (तिहार) के पहले दिन कौआ की पूजा करने की प्रथा है, जिसे यम का दूत माना जाता है।
लोग छतों पर मिठाई या व्यंजन फैलाते हैं और जमीन पर चावल भी छिड़कते हैं। वे कौआ को इस विश्वास के साथ खिलाते हैं कि वे उनके परिवार में किसी भी दुर्भाग्य को रोकेंगे और उन्हें बुराई से बचाएंगे।
दूसरे दिन कुकुर की पूजा होती है। इसको स्वर्ग द्वार का संरक्षक माना जाता है। उनके प्रेम, भक्ति और लोगों की रक्षा करने की इच्छा के लिए उनकी पूजा की जाती है।
गाय या आदमी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। गाय को स्नान कराके हार पहनाया जाता है। वहीं शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और पूरे घर में तेल के दीपक जलाकर उनका अभिवादन करते हैं। परिवार के छोटे सदस्य अपने माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
चौथे दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं। इसके लिए वे गोबर से एक प्रकार का पहाड़ बनाते हैं। यह इंद्र के ऊपर भगवान कृष्ण की जीत का प्रतीक है। इस दिन अन्नकूट नामक भोजन के साथ कृष्ण को प्रसन्न करने की प्रथा है। वहीं आत्मा को शुद्ध करने के उद्देश्य से स्वयं की पूजा भी करते हैं।
नेपाल में भाई टीका का बड़ा महत्व है। इस दिन बहनों द्वारा भाइयों को बुराई से बचाने तथा लंबी आयु के लिए विभिन्न समारोह और अनुष्ठान किए जाते हैं। बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाती हैं। उनके साथ उपहारों का आदान-प्रदान भी करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यम और यमी को भी याद किया जाता है।
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