बिहार के इस मंदिर में आज भी होता है चमत्कार, मां दुर्गा भक्तों की हर मुराद करती है पूरी; 150 साल पुराना इतिहास
बिहार के अररिया में मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर मनोकामना सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। सच्चे मान से मांगी गई मुराद हर भक्तों की पूरी होती है। इस मंदिर में नेपाल से भी भक्त आते हैं। वहीं राज्य के अन्य जिलों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। बताया जाता है कि दुर्गा मंदिर के स्थापना वर्ष से यहां छागर की बलि दी जाती थी।
मंदिर का इतिहास
यह मंदिर अतिप्राचीन है। बुजुर्गों का कहना है कि जब बकरा नदी के किनारे गांव बस रही थी, उससे पहले से यहां पूजा होती चली आ रही है। आजादी के पूर्व जब यहां महंत श्यामसुंदर भारती का कचहरी था तब उस स्थान पर मंदिर की स्थापना टिन और कच्ची दीवारों से मंदिर की देखरेख श्यामसुंदर भारती हीं किया करते थे।मंदिर की क्या है विशेषता
लोगों की मानें तो करीब डेढ़ सौ सालोंसे विधि-विधान पूर्वक प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना होती आ रही है। नवरात्र में प्रत्येक दिन संध्या में भजन कीर्तन होता है। इसके बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। षष्टी तिथि को जुड़वां बेल का संध्या पूजन होता है।सप्तमी को माता के स्वरूप को पालकी पर प्रवेश कराया जाता है। महानिशा पूजा में सैकड़ों लोग भाग लेते हैं। वहीं, नवमी व दशमी को दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद खिचड़ी का वितरण किया जाता है। भक्ति जागरण के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। आस्था के कारण हीं पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु भी मंदिर की चौखट पर नतमस्तक होते हैं।क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी
मंदिर में सच्चे दिल से मन्नत मांगने पर हर मुरादें पूरी होती है। श्रद्धालु के आस्था के कारण यह मंदिर शक्तिपीठ का रूप ले चुका है। दिनों-दिन श्रद्धालुओं की इस मंदिर में आस्था बढ़ती जा रही है। मंदिर व पंडालों को स्थानीय कलाकारों द्वारा भव्यता से सजाया जाता है। रात्रि में दुधिया लाइिटंग लोगों को काफी आकर्षित करती है।- पंडित ज्ञानमोहन मिश्र, पुजारी
कहते हैं पूजा समिति के अध्यक्ष
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