Bihar News: 'दारोगा ने कहा भूल हुई हुजूर माफी दे दीजिए...', जज ने सुनाई अनोखी सजा; जानें क्या है पूरा मामला
सात साल के अंदर की सजा वाले केस में रसलपुर के दारोगा ने एक आरोपित मुन्ना मंडल को 41ए सीआरपीसी की नोटिस देने के बदले जेल भेज दिया था। एडीजे-16 विश्व विभूति गुप्ता ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के संबंध में अपने थाने के पुलिस पदाधिकारियों को जागरूक करने व उसके अनुपालन की रिपोर्ट देने का दिया दंड है।
कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। रसलपुर थाने की पुलिस ने सात साल के अंदर की सजा वाले केस में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 या 41ए की नोटिस देने के बदले एक आरोपित मुन्ना मंडल को जेल भेजने की बड़ी भूल कर दी।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-16 विश्व विभूति गुप्ता ने रसलपुर थाने की पुलिस से हुए इस अपराध को गंभीरता से लेते हुए केस के जांच पदाधिकारी को तलब कर लिया। केस के जांच पदाधिकारी दारोगा राम प्रसाद सिंह सोमवार को न्यायालय पहुंचे।
न्यायाधीश के समक्ष हुए उपस्थित
न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित होकर उन्होंने भूल हो जाने की बात कहकर माफी देने का अनुरोध किया। न्यायाधीश ने उनसे कहा कि इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत पहले व्यवस्था दे रखी है। आप पुलिस पदाधिकारियों को इस संबंध में प्रशिक्षण नहीं दिया गया था क्या। दारोगा ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी थी पर इस मामले में उनसे भूल हो गई...।दरोगा को मिली अनोखी सजा
न्यायाधीश ने दारोगा से लिखित माफीनामा लेने के बाद उनकी उस भूल के लिए अनोखा दंड दिया। न्यायाधीश ने दरोगा को दंड स्वरूप अपने रसलपुर थाने के तमाम पुलिस पदाधिकारियों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 और 41ए के प्राविधान की मुकम्मल जानकारी देकर उन्हें जागरूक करने का अनोखा दंड दिया।
यही नहीं जागरूक करने के बाद न्यायालय को उसकी रिपोर्ट देंगे कि उन्होंने अपने थाने के तमाम पुलिस पदाधिकारियों को धारा 41, 41 ए की नोटिस को लेकर जागरूक कर दिया है।
एसएसपी को दी थी आरोपित ने अर्जी
उच्च न्यायालय, पटना के न्यायमूर्ति सत्यव्रत वर्मा ने 20 फरवरी 2024 को रसलपुर थाने में दर्ज केस संख्या 1182-23 में एक अन्य आरोपित रमेश मंडल की अर्जी पर आदेश देते हुए भागलपुर एसपी को उक्त आरोपित को 41ए का लाभ देने का आदेश जारी किया था।
आरोपित रमेश ने 27 फरवरी 2024 को एसएसपी आनंद कुमार को न्यायमूर्ति के उक्त आदेश की कापी के साथ एक अर्जी दी। उसमें उच्च न्यायालय की तरफ से पारित आदेश के आलोक में उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए का लाभ देते हुए आरोपित को राहत प्रदान करने की मांग की गई। लेकिन आरोपित के उक्त आवेदन पर भी राहत नहीं मिली।ना ही रसलपुर थाने में दर्ज केस के जांच पदाधिकारी ने ही राहत दी। एडीजे-16 ने अब आरोपित को उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में राहत देने की कवायद शुरू कर दी है। जो कार्य पुलिस पदाधिकारी स्तर से होना था।
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